
एमएओ कॉलेज की स्थापना देश के इतिहास में एक क्रान्ति साबित हुई। देश का पहला आवासीय कॉलेज था। 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

सर सैयद ने एमएओ कॉलेज की स्थापना मुसलमानों के लिए अवश्य की थी, परन्तु उन्होंने इसके द्वारा प्रत्येक धर्म और जाति के लोगों के लिए खुले रखे थे।

सर सैयद ने भारत में भी मुसलमानों को शिक्षित करने के लिए कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड के तर्ज पर एक विश्वविद्यालय का सपना देखा। उसी सपने को साकार करने के लिए सर सैयद ने 8 जनवरी, 1877 में एमएओ कॉलेज की स्थापना की।

सर सैयद का मत था कि, ’यदि हम विज्ञान में प्रगति नहीं करते तो हम सदैव पिछड़े रहेंगे और हमें अन्धविश्वासों से बाहर आना होगा क्योंकि अन्धविश्वास धर्म का भाग नहीं है।

1920 में संसद के कानून द्वारा एमएओ कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप मे उच्चीकृत किया गया, जो कि कालान्तर में मुसलमानों के बौद्धिक केन्द्र के रूप में विकसित हुआ आज भी देश की सेवा कर रहा है।