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इलाहाबाद हाईकोर्ट: डीआईओएस आजमगढ़ के आदेश को किया निरस्त, जाने क्या है पूरा मामला

मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक आजमगढ़ के 2004 में प्रबंध समिति द्वारा लिपिक नियुक्ति का वित्तीय अनुमोदन देने का निर्देश दिया है। आगे कहा है कि याची लिपिक निरीक्षक द्वारा अनुमोदन से इंकार करने के आदेश 11 जनवरी 2016 से वेतन का हकदार होगा। साथ ही एक जुलाई 22 से प्रतिमाह वेतन भुगतान किया जाए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट: डीआईओएस आजमगढ़ के आदेश को किया निरस्त, जाने क्या है पूरा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट: डीआईओएस आजमगढ़ के आदेश को किया निरस्त, जाने क्या है पूरा मामला

प्रयागराज: डीआईओएस आजमगढ़ के मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने मामले में दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट की धारा 16 (ई) में वर्णित दो प्रदेश प्रसार वाले अखबारों में भर्ती विज्ञापन लिपिक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती पर लागू नहीं है। ये भर्तियां रेग्यूलेशन 100,101,102के तहत की जाती है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य में व्यापक प्रसार वाले दो समाचार पत्रों में भर्ती विज्ञापन देने का प्रावधान शिक्षक भर्ती के लिए निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही यह लिपिक भर्ती में यह लागू नहीं होगा।

मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक आजमगढ़ के 2004 में प्रबंध समिति द्वारा लिपिक नियुक्ति का वित्तीय अनुमोदन देने का निर्देश दिया है। आगे कहा है कि याची लिपिक निरीक्षक द्वारा अनुमोदन से इंकार करने के आदेश 11 जनवरी 2016 से वेतन का हकदार होगा। साथ ही एक जुलाई 22 से प्रतिमाह वेतन भुगतान किया जाए।

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कोर्ट ने कहा कि याची की नियुक्ति 2004 में हुई। वित्तीय अनुमोदन नहीं मिला। निरीक्षक ने अनुमोदन से इंकार करने में 12 साल लगाए। देरी के लिए न केवल निरीक्षक जिम्मेदार हैं बल्कि याची व प्रबंध समिति ने भी अपने अधिकारों के कोर्ट की शरण नहीं ली। अनुमोदन से 2016 में इंकार के बाद कोर्ट आए हैं। मामले के यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने आजमगढ़ जनपद के श्रीपति इंटरमीडिएट कालेज में नियुक्त लिपिक अरविंद कुमार यादव की याचिका पर दिया है।