
Allahabad High Court ने सभी अंतरिम आदेशों को 31 मई तक बढ़ाने का लिया फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहाकि, भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है पर इस अधिकार का प्रयोग किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली-गलौज या अपमानजनक टिप्पणी करने तक नहीं है। यहां तक कि प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी नहीं है। मामले में याची ने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर बेहद अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसी को आधार मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य मंत्रियों को अपशब्द बोलने के मामले में जौनपुर के मीरागंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से साफ-साफ इंकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहाकि, प्राथमिकी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने का खुलासा करती है इसलिए प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं बनता है।
आगे की कार्रवाई जारी रखने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पूरी स्वतंत्रता दी। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने मुमताज मंसूरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका को खारिज, याची मायूस
याची ने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर बेहद अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
Published on:
17 Jul 2022 10:36 am
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