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UPPSC:हजारों छात्रों का भविष्य सीबीआई और कोर्ट की फाइलों में कैद है,सालों से कर रहे इंतज़ार

locationप्रयागराजPublished: Jul 31, 2019 04:58:01 pm

-दर्जनों परीक्षाओं की धांधली में कर्मचारियों पर उठे सवाल ,लेकिन किसी ने नही सुनी -आयोग के नए अध्यक्ष से अभ्यर्थियों को उम्मीद

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प्रयागराज | उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग देश के सबसे विश्वसनीय और प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक रहा है। हालांकि पिछले कुछ सालों से लोक सेवा आयोग की धांधली सुर्खियों में रही है। बीते कई वर्षों से प्रतियोगी छात्र के लिए यूपी पीसीएस की परीक्षा एक मुसीबत की तरह हो गयी है । लंबे समय ऐसी कोई परीक्षा नहीं हुई जिसे लेकर विवाद की स्थिति ना बनी हो । 2018 की परीक्षा से जुड़े विवाद ने सामान्य प्रतियोगी अभ्यर्थियों को झकझोर दिया

बता दें की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती कि सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय के पेपर आउट होने , प्रिंटिंग प्रेस मालिक की गिरफ्तारी के साथ ही उनके पास पीसीएस 18 के 53 सेट पेपर मिलने के बाद तैयारी करने वाले छात्रों को हिला कर रख दिया। परीक्षा नियंत्रक का पकड़ा जाना सामान्य घटना नही थी । हालाकि परीक्षा टाल दी गई नये कैलेंडर में इस परीक्षा के लिए नई तिथि घोषित की गई है।आयोग की परीक्षाएं 2012 से लेकर 17 तक न्यायालय की चौखट पर पहुंचती रही । कमरों में बंद होकर पढ़ने वाला छात्र सड़कों पर उतरा छात्रों को जेल जाना पड़ा । लेकिन लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली और विवादों में कोई कमी नहीं आई ।सत्ता बदलने के बाद दर्जनों भर्तियां कोर्ट से लेकर सीबीआई कार्यालय तक घूम रही है। हालांकि रिटायर्ड आईएएस प्रभात सिंह को यूपीपीएससी की कमान देने पर छात्र अपना संतोष जाहिर कर रहे।

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केंद्र पर बदल गया पेपर
वर्ष 2017 परीक्षा में 12 प्रश्न गलत होने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल हुई । हाईकोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को संशोधित करने के निर्देश दिए । बाद में इस मामले में आयोग की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर आयोग को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी । यही नहीं पिछले 7 जून में आयोजित पीसीएस 2017 मुख्य परीक्षा का पेपर राजकीय इंटर कॉलेज प्रयाग के केंद्र पर बदल गया ।उस समय भी आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठे थे । लेकिन सारी गलती प्रिंटिंग प्रेस पर डालकर आयोग के अफसर साफ निकल गए।

2016,सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
2016 पीसीएस में संशोधित उत्तर कुंजी के खिलाफ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। लेकिन उसी बीच परीक्षा करा ली गई, क्योंकि आदेश सुरक्षित था। इसलिए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से मनीष पांडे और शांतनु राय अनशन पर बैठे कि आदेश आने के बाद परीक्षा कराई जाए। लेकिन आयोग छात्रों की मांग खारिज कर दी । हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पांच प्रश्न संशोधित कर दोबारा परिणाम जारी करने को कहा था। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

2015 का पेपर आउट हुआ
29 मार्च 2015 को लखनऊ में सेंटर से पीसीएस प्री 2015 का पेपर आउट हुआ आयोग ने पहले पेपर आउट होने से इनकार किया। लेकिन बाद में शासन से दबाव पड़ने पर सिर्फ पहली पाली की परीक्षा निरस्त कर दी गई। मई 2015 को दोबारा कराई गई है परीक्षा इस मामले में जांच यूपी एसटीएफ ने की एसटीएफ ने माना था कि जिस सेंटर से पेपर आउट हुआ था। वहां पर पर निर्धारित अवधि से काफी पहले पहुंचा दिया गया था। इस मामले में आयोग के कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठे थे पर आयोग ने जांच कराई ना ही किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही।

2014 के प्री परीक्षा
पीसीएस 2014 के प्री परीक्षा में कई प्रश्नों के गलत उत्तर को लेकर अभ्यर्थीयों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर आयोग ने सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को झूठा प्रस्ताव दिखाया। कहा की परीक्षा के बाद उत्तर कुंजी जारी होती है और अभ्यर्थियों से आपत्ति लेकर निस्तारण के बाद परिणाम जारी करता है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने छात्रों की याचिका खारिज कर दी। जबकि इस परीक्षा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। हालांकि छात्रों की याचिका पर पीसीएस 2015 से आयोग में है व्यवस्था लागू की।

2013 प्रारंभिक परीक्षा
2013 प्रारंभिक परीक्षा एक महीने के अंदर मुख्य परीक्षा कराई गई इसके खिलाफ अभ्यर्थियों का आयोग का घेराव किया गया लेकिन ने पुलिस ने लाठीचार्ज करके सब को भगाया और मामला समाप्त हुआ। पीसीएस 2012 की परीक्षा के दौरान अधिकांश सेंटरों से नकल का मामला सामने आया जिसकी शिकायत आयोग की गई लेकिन आयोग ने सब कुछ दरकिनार करते हुए मुख्य मुख्य परीक्षा कराई जबकि मामला उच्च न्यायालय में लंबित था।

रिटायर्ड आईएएस को कमान सौंपी
2017 मुख्य परीक्षा में गलत पेपर खुला 2015 मेंस का पेपर आउट होने का आरोप लगा।लेकिन इन सबके बावजूद आयोग ने आंख और कान बंद करके अपना काम करता रहा ।परिणाम यह हुआ कि सत्ता बदलने के बाद दर्जनों भर्तियां सीबीआई की झोली में चली गई। दो बरस से ज्यादा हो गए सीबीआई अभी तक किसी परिणाम पर नहीं पहुंची है। हालाकी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव का कार्यकाल बीतने के बाद रिटायर्ड आईएएस प्रभात सिंह को आयोग की कमान सौंपी गई है।

पारदर्शी होगा आयोग
आयोग के अध्यक्ष प्रभात सिंह ने कहा 2019 -20 का कैलेंडर जारी किया है । हम कोशिश का रहे है की छात्रों की शिकायतों का निस्तारण जल्द हो सकें ।हम लंबित परिणामों की खमियां देख रहे है।जिन पर जाँच चल रही है बिना रिपोर्ट के कुछ कहा नही जा सकता है लेकिन इतना विश्ववास दिलाना चाहता हूँ की पारदर्शी ढंग से नियमित काम होगा।

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