
शिकायतकर्ता की मौत पर नहीं खत्म होगा धारा 138 का आपराधिक केस-हाईकोर्ट
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चेक अनादर मामले में कंप्लेंट केस दर्ज करने वाले की मौत पर केस खत्म नहीं होगा। वैध वारिस अभियोग चला सकते हैं। कोर्ट ने केस कायम करने वाले की मौत के आधार पर केस समाप्त करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट को परक्राम्य विलेख अधिनियम (एनआईएक्ट) की धारा 138के अंतर्गत चल रहे आपराधिक केस को छः महीने में निर्णीत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट ने शिकायत कर्ता की मौत पर वैध वारिसों को पक्षकार बना कर सही किया।और केस समाप्त करने की अर्जी खारिज करना ग़लत नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने नानक चंद्र गौतम की याचिका पर दिया है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट मथुरा की अदालत में राधेश्याम अग्रवाल ने याची के खिलाफ आपराधिक इस्तगासा दर्ज किया। मजिस्ट्रेट ने 15अगस्त 91मे सम्मन जारी किया किन्तु आरोपी याची मामले को लटकाए रखा।इसी बीच राधेश्याम अग्रवाल की मौत हो गई। उनके बेटे राजीव अग्रवाल ने अर्जी दे कर विधिक वारिसों को पक्षकार बनाने की मांग की।याची ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 256मे अर्जी दाखिल कर शादी की मौत के आधार पर केस समाप्त करने की मांग की। मजिस्ट्रेट ने अर्जी निरस्त कर दी। इसके खिलाफ पुनरीक्षण भी निरस्त कर दी गई।जिस पर यह याचिका दायर की गई।
याची का कहना था कि शिकायतकर्ता की मौत पर आपराधिक केस समाप्त हो जायेगा। इसलिए उसके खिलाफ केस निरस्त किया जाय। कोर्ट ने धारा 256व धारा 247को एक साथ परिशीलन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के विधि सिद्धांतों के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश को सही करार दिया है।और कहा कि कंप्लेंट केस दर्ज करने वाले की मौत पर केस खत्म नहीं होगा।
Published on:
23 Jul 2022 08:47 am
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