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प्रयागराज

जेलर ने 8 महीनों तक उसे अवैध कैद में रखा, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

कैदी के जमानत आदेश से गायब था ‘मिडिल नेम’, कोर्ट के आदेश के बावजूद जेल अधीक्षक ने नहीं किया रिहा

प्रयागराजDec 21, 2020 / 05:10 pm

Hariom Dwivedi

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उच्च न्यायालय ने सिद्धार्थ नगर जिला जेल अधीक्षक राकेश सिंह को फटकार लगाते हुए अदालत में पेश होने का निर्देश दिया

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज. हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने के बावजूद जेल अधीक्षक ने कैदी को सिर्फ इसलिए रिहा नहीं किया, क्योंकि आदेश में उसका मिडिल नेम गायब था। जमानत आवेदक को 8 महीने तक अवैध कैद में रखा गया। उच्च न्यायालय ने सिद्धार्थ नगर जिला जेल अधीक्षक राकेश सिंह को फटकार लगाते हुए अदालत में पेश होने का निर्देश दिया और यह बताने को भी कहा कि क्यों न उसके खिलाफ उचित विभागीय जांच की सिफारिश की जाए। इसके बाद 08 दिसंबर को राकेश सिंह, अधीक्षक, जिला जेल, सिद्धार्थ नगर ने अनुपालन का एक हलफनामा दायर किया और व्यक्तिगत रूप से भी पेश हुए। उन्होंने न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया। बताया कि आवेदक को 8 दिसंबर को आवेदक को जेल से रिहा कर दिया गया है। कोर्ट ने उन्हें भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में प्रार्थना की गई थी कि जमानत अर्जी में आवेदक का नाम ‘विनोद बरुआर’ के बजाय ‘विनोद कुमार बरुआर’ कर दिया जाए। आवेदक के वकील ने कहा 09 अप्रैल 2020 को हाईकोर्ट ने मुअक्किल की जमानत मंजूर करते हुए रिहाई के आदेश दिये थे। लेकिन, जेल प्रशासन ने उसे इसलिए रिहा नहीं किया क्योंकि, रिहाई के आदेश में उल्लिखित नाम ‘विनोद बरुआर’ था, जबकि रिमांड शीट में उसका नाम ‘विनोद कुमार बरुआर’ है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की पीठ ने जेल अधीक्षक को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘न्यायालय यह समझने में विफल है कि जब आवेदक का नाम जमानत अस्वीकृति आदेश में उल्लिखित है, अर्थात ‘विनोद बरुआर’ है, तो जमानत में उल्लिखित नाम में ‘कुमार’ क्यों जोड़ा जाना चाहिए।’ साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि जेल प्रशासन ने अड़ियल रवैये के चलते न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया। ऐसा करके, बिना किसी कारण के एक नागरिक को उसकी स्वतंत्रता से अप्रैल, 2020 से आज तक वंचित रखा। उच्च न्यायालय जेल तत्काल आदेश देते हुए जमानत आवेदक को 24 घंटों में रिहा करने के आदेश दिया।

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