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Allahabad High Court: जाने क्यों खुली अदालत में वकील ने महिला जज से मांगी माफी, देना पड़ा 2 हजार

locationप्रयागराजPublished: Mar 04, 2022 11:44:24 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

मऊ जिला अदालत में वकील कृष्ण कुमार यादव को जुर्माना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मऊ में जमा करना होगा। अधिवक्ता के आचरण और व्यवहार को दो साल निगरानी में रखा जाएगा। अधिवक्ता कृष्ण कुमार यादव ने एक महिला न्यायाधीश आराधना रानी अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट मऊ के खिलाफ बहस के दौरान 19 मार्च को अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।

Allahabad High Court: जाने क्यों खुली अदलात में वकील ने महिला जज से मांगी माफी, देना पड़ा 2 हजार

Allahabad High Court: जाने क्यों खुली अदलात में वकील ने महिला जज से मांगी माफी, देना पड़ा 2 हजार

प्रयागराज: वकील ने महिला जज से बिना किसी शर्त माफी मांगे है। भरी अदालत में अपशब्दों से अपमानित किया था। जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना कार्यवाही चल रही थी इस दौरान माफी मांगने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो हजार रूपए जुर्माने के साथ कार्यवाही समाप्त कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने दिया है। मऊ जिला अदालत में वकील कृष्ण कुमार यादव को जुर्माना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मऊ में जमा करना होगा। अधिवक्ता के आचरण और व्यवहार को दो साल निगरानी में रखा जाएगा। अधिवक्ता कृष्ण कुमार यादव ने एक महिला न्यायाधीश आराधना रानी अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट मऊ के खिलाफ बहस के दौरान 19 मार्च को अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
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कोर्ट ने कहा अधिवक्ता ने अदालत का अपमान किया और अदालत के अधिकार को कम करने की कोशिश की है। न्यायिक कार्यवाही में भी बाधा डाली है और हस्तक्षेप किया है।जो कि अवमानना है और दंडनीय है। अधिवक्ता को बचाव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। शुरू में, उन्होंने घटना के आरोपों और तथ्य को नकारा और कार्यवाही पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए हलफनामा दायर किया। हालांकि यह भी कहा कि महिला न्यायाधीश से बिना शर्त माफी भी मांगी थी। बाद में हाईकोर्ट में दाखिल आपत्ति हलफनामा वापस लेते हुए फिर से बिना शर्त माफी मागी। और कहा कि वह मऊ में जिला न्यायालय में 31 साल से कार्यरत वकील हैं। इसलिए, उनकी बिना शर्त माफी को स्वीकार किया जाय । उन्होंने हाथ जोड़कर कोर्ट से दया की गुहार लगाई और अदालत को भविष्य में अच्छे और उचित आचरण करने का आश्वासन भी दिया।
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कोर्ट ने शुरू में कहा कि उनका आचरण एक एडवोकेट के लिए अशोभनीय है। विशेष रूप से तब जब वह बार के पूर्व अध्यक्ष थे और वे 32 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। अदालत ने आगे कहा, “बार के एक वरिष्ठ सदस्य से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह अदालत में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करे, जो न्यायिक अनुशासन के खिलाफ है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर जुर्माना जमा नहीं किया गया तो उसे छह महीने की अवधि के लिएकोर्ट परिसर में प्रवेश करने और किसी भी मामले में पेश होने से रोक दिया जाएगा।
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