कोर्ट ने कहा अधिवक्ता ने अदालत का अपमान किया और अदालत के अधिकार को कम करने की कोशिश की है। न्यायिक कार्यवाही में भी बाधा डाली है और हस्तक्षेप किया है।जो कि अवमानना है और दंडनीय है। अधिवक्ता को बचाव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। शुरू में, उन्होंने घटना के आरोपों और तथ्य को नकारा और कार्यवाही पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए हलफनामा दायर किया। हालांकि यह भी कहा कि महिला न्यायाधीश से बिना शर्त माफी भी मांगी थी। बाद में हाईकोर्ट में दाखिल आपत्ति हलफनामा वापस लेते हुए फिर से बिना शर्त माफी मागी। और कहा कि वह मऊ में जिला न्यायालय में 31 साल से कार्यरत वकील हैं। इसलिए, उनकी बिना शर्त माफी को स्वीकार किया जाय । उन्होंने हाथ जोड़कर कोर्ट से दया की गुहार लगाई और अदालत को भविष्य में अच्छे और उचित आचरण करने का आश्वासन भी दिया।
कोर्ट ने शुरू में कहा कि उनका आचरण एक एडवोकेट के लिए अशोभनीय है। विशेष रूप से तब जब वह बार के पूर्व अध्यक्ष थे और वे 32 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। अदालत ने आगे कहा, “बार के एक वरिष्ठ सदस्य से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह अदालत में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करे, जो न्यायिक अनुशासन के खिलाफ है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर जुर्माना जमा नहीं किया गया तो उसे छह महीने की अवधि के लिएकोर्ट परिसर में प्रवेश करने और किसी भी मामले में पेश होने से रोक दिया जाएगा।