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कटघरे में महिषासुर
इस पंडाल में मां दुर्गा न्यायपीठ पर विराजमान है। कटघरे में महिषासुर और भस्मासुर है। बीच की टेबल पर राक्षसों की अनुकृति स्थापित की गई है। पांडाल की पूरी सात सज्जा नितिन चौरसिया के निर्देशन में कोलकाता के कलाकारों द्वारा सवारी गई है। शहर में बने सैकड़ों पांडवों के बीच इस पांडाल की भी खूब चर्चा है। हर आम से खास व्यक्ति यहां पहुंचकर मां की अदालत पर अपनी दरखास लगा रहा।खुल्दाबाद दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुधीर अग्रवाल ने बताया कि यहाँ माँ का दरबार बीते 36 वर्षों से सज रहा है। हर बार.बार समाजिक कुरूतियों या समसामयिक विषय पर पांडाल तैयार किया जाता है।
दो दिन में हजारो भक्त पंहुचे
खुल्दाबाद बारबारिका पंडाल सुर्खियों में है मां की स्थापना की अलग छवि के कारण यहां लोगों की भीड़ उमड़ रही है। यहां के पंडाल की अनुकृति अदालत यानी कोर्ट की तरह दी गई है।संस्था के सचिव पमपम चौरसिया ने बताया कि पंडाल की आंतरिक सात सज्जा बिल्कुल न्यायालय के अदालत की तरह बनाई गई है। जहाँ माँ के दर पर आने वाला हर भक्त अपनी अर्जी माँ की चौखट पर लगा रहा है। पंडाल में सजी माँ की यह आकृति बेहद आकर्षक है जो है।आयोजक समिति की माने तो दो दिनों में यहाँ पांच हजार से ज्यादा भक्त पंहुच चुके है।
ये है संदेश वही इस बार इस दरबार में को न्यायपीठ पर विराजमान कर यह संदेश देने की कोशिश है की बेटियों के साथ समाज में हो रहे अत्याचार बंद हो। हर बेटी में माँ का स्वरूप में विद्यमान है। ये न्याय की देवी है इन्हें देख कर भटके हुए लोगों में नारियों बेटीयों के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो। भ्रूण हत्या बंद हो,बलात्कार की जैसी घिनौनी घटनाएँ समाज से जद से समाप्त हो।
लाइट एंड साउंड से स्वरूपों का दर्शन
दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान पंडाल में ध्वनि प्रकाश के माध्यम से मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के महत्व को प्रदर्शित किया जाता है। मां दुर्गा द्वारा राक्षसों के संघार की कहानी लाइट एंड साउंड के माध्यम से दिखाई जाती है। उन्होंने बताया कि इस इस बार मां को न्याय पीठ पर विराजमान किया गया है । जहां लोग पहुंचकर अपनी दुख तकलीफ की अर्जी लगा रहे है।