
माघ मेले में सिर पर आस्था की गठरी लिए श्रद्धालु संगम की ओर बढ़ते रहे। न ठिठुरन की चिंता और ना ही किसी चेहरे पर थकान की परवाह। बस मन में भगवान के प्रति विश्वास लेकर आए श्रद्धालु।

शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच संगम तट पर 14 घाटों पर प्रथम पुण्य की डुबकी के साथ माघ मेले का आगाज हुआ। इस दौरान करीब 5 लाख श्रद्धालु संगम घाट पहुंचे और पहला स्नान कर माघ मेले की शुरूआत की।

संगम के तट पर दुनिया का सबसे अद्भुत मेला 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो गया है।

700 हेक्टेयर और 6 सेक्टर में बसने वाला यह मेला 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ खत्म होगा।

यह मेला इस बार दारागंज घाट से नैनी अरैल घाट तक और झूंसी में सदाफल आश्रम तक 8 किलोमीटर दायरे में बसाया गया है।

केवल कपड़े के और कागज के लिफाफे प्रयोग करने की अनुमति है। शहर से झूंसी साइड जाने के लिए गंगा पर 5 पीपे के पुल (पांटून) बनाए गए हैं। माघ मेले में लोगों की सुविधा के लिए 6 हेल्प डेस्ट बनाई गई है।

पूरा मेला क्षेत्र 150 सीसीटीवी कैमरे से 24 घंटे निगरानी में रहेगा। मेले में 4 ड्रोन कैमरे से 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है।

इलाहाबाद फोर्ट के पास अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 500 बेड की डॉरमेंट्री बनाई गई है।पूरे मेले को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया गया है।

पूरे मेला क्षेत्र में 14 फायर स्टेशन बनाए गए हैं। इसके अलावा ATS के कमांडोज को भी मेले की सुरक्षा में तैनात किया गया है। मेले में देश-दुनिया से आएंगे 6 करोड़ श्रद्धालु। संगम तट पर कुछ इस तरह घाट बनाया गया है।