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प्रयागराज मर्डर वीडियो: क्या लापरवाही ने ली उमेश पाल की जान?

Prayagraj Murder Case: उमेश पाल और उनका गनर जिस तरह से गाड़ी से उतरे, उससे लगता है कि वो वो कहीं न कहीं लापरवाही बरत गए।

प्रयागराजFeb 26, 2023 / 01:29 pm

Rizwan Pundeer

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उमेश पाल की हत्या का एक और वीडियो सामने आया है। इसमें साफ-साफ दिख रहा है कि कैसे उमेश को कार से उतरते ही गोलियों से छलनी कर दिया गया। वीडियो और पुलिस के बयान से एक और बात भी लगती है, वो ये कि कहीं न कहीं उमेश पाल के गनर और ड्राइवर ने भी एहतियात में कमी बरती।
उमेश पाल, उनके गनर और ड्राइवर ज्यादा चौकन्ने होते तो शायद उमेश बच जाते। ऐसे हम नहीं, सीसीटीवी फुटेज और पुलिस के बयानों के आधार पर कह रहे हैं।


पीछा करती कार पर क्यों नहीं गया ड्राइवर का ध्यान?
शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर पुलिस का कहना है कि हमलावरों ने कोर्ट से ही उमेश का पीछा किया।
पुलिस के मुताबिक, उमेश की कार का लगातार कोई वाहन पीछा कर रहा था। उमेश कार की पिछली सीट पर थे, आगे ड्राइवर के बराबर में उनका गनर था। ड्राइवर और गनर अगर सतर्क होते तो जरूर उनको गाड़ी के शीशे में एक ही बाइक दिखने पर शक होना चाहिए था।


कार से उतरते वक्त कोई एहतियात क्यों नहीं?

वीडियो में दिख रहा है कि उमेश पाल कार से बिल्कुल बेफिक्र होकर उतर रहे हैं। उनका गनर भी कंधे पर पीछे की तरफ कार्बाइन डाले हुए आराम से उतर रहा है। यहां तक कि जब उमेश उतर रहे हैं तो नगर आगे की तरफ देख रहा है। दोनों को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि उनको आसपास किसी के होने का आभास भी है, जबकि उनसे कुछ मीटर पर ही हमलावर खड़े दिख रहे हैं।
जिस तरह से कार का दरवाजा खोलते ही उमेश पर हमला हुआ, उससे साफ है कि ठीक कार के साथ ही बाइक भी आकर रुकी। कुछ लोग पहले से भी वहां थे। इन लोगों के हाथ में हथियार थे। इस सबकी तरफ न उमेश का ध्यान गया न उनके गनर का। उमेश अपने फोन में बिजी थे तो गनर भी अपने आप में। जब तक उमेश और उनका गनर कुछ समझ पाते, तब तक उन पर गोलियों की बौछार हो गई।

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तो बच जाती उमेश की जान…

वीडियो देखने पर लगता है कि अगर उमेश फोन पर बात करते हुए न होते और उनके दूसरे हाथ में थैला न होता तो शायद वो इधर-उधर ध्यान देते। उनके दोनों हाथ खाली होते तो शायद वो हमलावर से बचने की बेहतर कोशिश कर पाते, शायद वो भागने में कामयाब हो पाते।
वीडियो देखने से ये भी लगता है कि अगली सीट से उतरे उनके गनर का हाथ अगर कार्बाइन के ट्रिगर पर होता तो शायद हमलावर झिझक जाते। गनर उमेश के उतरने से पहले वो एक बार आसपास देख लेते तो शायद वो हमलावरों के इरादे भांप लेते। ऐसे होता तो शायद वो न होता जो हुआ।

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उमेश पाल की हत्या के बाद अब हम कह सकते हैं कि शायद ऐसा होता या वैसा होता, लेकिन उनकी मौत अब एक सच्चाई है। पुलिस का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए 8 टीमें लगाई गई हैं। दोषियों को पकड़ लिया जाएगा।
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