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रामलीला में राम और रावण को सजाते हैं हामिद अंसारी, देखने को उमड़ती है भीड़

locationप्रयागराजPublished: Oct 08, 2019 05:39:41 pm

प्रदेश के सबसे मंच पर होती है यह रामलीला

Ram and rawan make up by hamid ansari in Prayagraj Ramleela

रामलीला में राम और रावण को सजाते हैं हामिद अंसारी, देखने को उमड़ती है भीड़

प्रयागराज। तीर्थराज की धार्मिकता और इतिहास में कई किंबदंती जुड़ी हैं। जो यहां की उत्सवधर्मिता को जानने के लिए उत्सुक करती है। उन्हीं में एक है यहां की प्राचीन पत्थरचट्टी रामलीला, जो पांच दशक से अधिक समय से चल रही है। पत्थर चट्टी रामलीला देशभर में इसलिए भी प्रसिद्ध है, कि इसका मंच लगभग 300 फीट चौड़ा है।यहां एक साथ इस पर 10 तरह के मंचन किए जा सकते हैं। प्रदेश का पहला डबल स्टोरी रामलीला मंच भी कहा जाता है। पत्थरचट्टी रामलीला के कलाकार दुनियां के कई देशों में राम लीला के मंचन के लिए का चुके है। देश भर में सबसे ज्यादा आधुनिक उपकरणों और हाईटेक संसाधनों से लैस रामलीलाओं में से एक पत्थर चट्टी रामलीला मंच है। प्रयागराज की सबसे ऐतिहासिक रामलीला पत्थरचट्टी रामलीला है। इसे देखने के लिए दूसरे शहरों से लोग भी आते हैं। इसकी एक और खास बात है कलाकारों को सजाकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और परम शक्तिशाली रावण का किरादार निभाने वालों को सजाने वाले कलाकार का नाम है,हामिद अंसारी जो धार्मिक सौहार्द के प्रतीक है।

हर दिन हामिद भगवान बनाते है
हामिद अंसारी बताते हैं कि वह कई सालों से पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी से जुड़े हैं। उनकी कोशिश कलाकारों को ऐसे संवारने की होती है कि दर्शक उसके किरदार में डूब जाए। बकौल हामिद उन्हें इन पात्रों को तैयार करने में काफी खुशी होती है। इस काम का वह सालभर इंतजार करते हैं। हामिद अंसारी ने कहा कि हर दिन लगभग सौ कलाकारों को वह देवत्व स्वरूप प्रदान करते हैं। जब जिस किरदार को सजा रहे होते हैं। तो मन में छवि स्वयं बनकर आ जाती है। उन्ही स्वरूपों की तरह उन्हें आकर्षक बनाते हैं। हामिद कहते है हर दिन ईश्वर के दर्शन करता हूं। जो आम लोगों के लिए संभव नहीं है।
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दो मंजिला रंगमंच आधुनिक यंत्र
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उसी आधुनिकता और भव्यता के साथ प्रयागराज में रामलीला मंचन पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी द्वारा किया जा रहा है। जिसको देखने के लिए यहां भीड़ उमड़ रही है। पत्थरचट्टी रामलीला दर्शकों को लुभाने के आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करती है। यहां दो मंजिला रंगमंच है। लाइट साउंड एवं आधुनिक यंत्र इसकी शोभा को चार चांद लगाते हैं। इस भव्य और आकर्षक रामलीला के आयोजन में हर वर्ष लगभग ढाई करोड़ रुपए का खर्च होता है ।जिसमें फिल्म इंडस्ट्री से कॉस्टयूम हाइटेक लाइट एंड म्यूजिक सिस्टम और देश के नामचीन कलाकारों और थिएटर के कलाकारों को यह मंचन के लिए बुलाया जाता है।
मणिपुरी कलाकार प्रस्तुत करते है संग्राम
रामलीला को आकर्षक बनाने के लिए मणिपुरी मार्शल आर्ट की ने परंपरागत कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। वही कलाकार राम रावण का महासंग्राम प्रस्तुत करते हैं। जिसके लिए महीनों से उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। राम रावण के महासंग्राम को दशहरे के दिन प्रस्तुत किया जाता है। वैसे यहाँ हर किरदार को निभाने वाले का बाकायदा ओडिशन लिया जाता है। चयन के बाद ही यहां पात्र तय किये जाते है।
1924 से दशहरे का राम दल जुलूस की तरह निकलने लगा
जानकारों की माने तो इतिहास के पन्नों में धर्म नगरी में 200 वर्षों से अधिक पुराने विवरण यहां रामलीला रावण दहन का मिलता है। 1924 के बाद प्रयागराज में दशहरे का राम दल जुलूस की शक्ल में निकलने लगा। जो उसके बाद से अब तक अनवरत जारी है। 60 बरस से पत्थरचट्टी रामलीला से जुड़े हरी मोहन मालवीय बताते हैं कि शुरुआती दिनों में मुख्य रूप से दसमी के दिन रामदल चौक में निकलना शुरू हुआ। उसके बाद फिर नवमी को शहर के मुट्ठीगंज बहादुरगंज क्षेत्र में रामदल को निकालने की शुरुआत हुई। शहर का कटरा इलाका ब्रितानी हुकूमत के अधीन था। लेकिन भारतीय ब्रिटिश सैनिक हिंदू और मुस्लिम मिलकर अष्टमी को रामदल निकालने की शुरुआत की जो अब तक चलता आ रहा है। वही दारागंज में सप्तमी को तीर्थ पुरोहितों ने काली स्वांग के रूप में आयोजन शुरू किया।
घास के चलते नाम पड़ा पत्‍थरचट्टी
पहले यह रामलीला सिविल लाइंस के कमौरी महादेव मंदिर के पास होती थी। वहां रेलवे लाइन बिछने लगी तब रामलीला रामबाग में विस्थापित की गई। इसका नाम पत्थरचट्टी इसलिए पड़ा क्योंकि जिस जगह रामलीला होती है उस जगह खाली स्थान पर पत्थरचट्टा घास उगी थी। तभी से इसका नाम पत्थरचट्टी पड़ गया।
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