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दो भाइयों ने पेश की मिसाल, कंधे पर बैठाकर बुजुर्ग दादा को कराया संगम स्नान

एमपी के रीवा के रहने वाले दो भाई अपने बुजुर्ग दादा को कंधे पर बैठाकर संगम स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे। जब लोगों ने देखा कि यह दोनों इतनी दूर से अपने दादा को कंधे पर लिये उन्हें संगम स्नान कराने लाए हैं, तो भी हैरान रह गए।

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Two Brothers Reached prayagraj carrying grandfather on their shoulders

Two Brothers Reached prayagraj carrying grandfather on their shoulders

हर किसी ने अपने जीवन में पौराणिक कहानी जरूरी सुनी होगी, जिसमें श्रवण कुमार अपने दृष्टिहीन माता-पिता को कंधे पर बैठाकर चार धाम की यात्रा कराते हैं। वर्तमान समय में यह नामुमकिन सा लगता है। लेकिन मध्य प्रदेश के रहने वाले दो भाइयों ने इसे सिद्ध कर दिखाया है। एमपी के रीवा के रहने वाले दो भाई अपने बुजुर्ग दादा को कंधे पर बैठाकर संगम स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे। जब लोगों ने देखा कि यह दोनों इतनी दूर से अपने दादा को कंधे पर बैठाकर उन्हें संगम स्नान कराने लाए हैं, तो सभी हैरान रह गए। इन दोनों भाइयों का नाम विष्णु और शंकर है। दोनों ने बताया कि उनके दादा की संगम स्नान करने की इच्छा थी और इन दोनों ने उनकी इच्छा को पूरा करने का मन बनाया।

पूरी की अपने दादा की इच्छा

विष्णु और शंकर ने कहा कि वह अपने दादा से बहुत प्यार करते हैं और उनकी सेवा करना अपना धर्म और कर्तव्य समझते हैं। उनके दादा की इच्छा थी की वह संगम स्नान करें। फिर दोनों ने अपने दादा को कंधे पर बैठाकर रीवा से प्रयागराज तक का सफर करना तय कर लिया। अपने दादा के लिए दोनों के अनूठे प्रेम को देखकर लोगों ने उनकी तारीफ की।

बता दें कि माघ मेले के तीसरे सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर मंगलवार को मौन डुबकी लगाई जा रही थी। एक करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। मौनी अमावस्या स्नान पर ब्रह्म मुहूर्त से श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे थे। मौनी अमावस्या पर संगम स्नान विशेष फलदायी माना जाता है।

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अनुमान से ज्यादा आए श्रद्धालु

सुरक्षा को लेकर मेला प्रशासन से चाक-चौबंद व्यव्सथा की थी। प्रशासन का दावा है कि अनुमान से ज्यादा श्रद्धालु आए थे। एक करोड़ से ज्यादा की भीड़ होने के बावजूद स्नान पर्व सकुशल संपन्न हुआ था।