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यूजीसी ने बदला पीएचडी में दाखिले का पैटर्न, 60 प्रतिशत सीटें इन छात्रों के लिए रहेगी आरक्षित

विवि अनुदान आयोग ने पीएचडी के रेगुलेशंस 2016 में संशोधन करते हुए प्रस्ताव को पास कर दिया है। अब इसके मुताबिक राट्रीय पात्रता परीक्षा नेट या फिर जूनियर रिसर्च फेलोशिप उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी की 60 फीसदी सीटों को आरक्षित रखा जाएगा। यूजीसी रेगुलेशंस 2022 के प्रस्तावों को आयोग की 10 मार्च 2022 को हुई 556वीं बैठक में मंजूरी दी गई।

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यूजीसी ने बदला पीएचडी में दाखिले का पैटर्न, 60 प्रतिशत सीटें इन छात्रों के लिए रहेगी आरक्षित

यूजीसी ने बदला पीएचडी में दाखिले का पैटर्न, 60 प्रतिशत सीटें इन छात्रों के लिए रहेगी आरक्षित

प्रयागराज: लंबे समय से इंतजार कर रहे उत्तर प्रदेश और देश में पढ़ने वाले अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरी वाली खबर है। यूजीसी ने पीएचडी में दाखिले को लेकर नियम में बदलाव किया है। विवि अनुदान आयोग ने पीएचडी के रेगुलेशंस 2016 में संशोधन करते हुए प्रस्ताव को पास कर दिया है। अब इसके मुताबिक राट्रीय पात्रता परीक्षा नेट या फिर जूनियर रिसर्च फेलोशिप उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी की 60 फीसदी सीटों को आरक्षित रखा जाएगा। यूजीसी रेगुलेशंस 2022 के प्रस्तावों को आयोग की 10 मार्च 2022 को हुई 556वीं बैठक में मंजूरी दी गई।

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ऐसे मिलेगा प्रवेश

महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों में पीएचडी डिग्री के लिए प्रवेश के नियमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संशोधन के प्रस्तावों के अनुसार, चार वर्षीय यूजी कोर्स करने वाले छात्रों को सीधे पीएचडी में प्रवेश दिया जाएगा। इसके अलावा तीन वर्ष का स्नातक करने वाले छात्रों को एमए के बाद प्रवेश दिया जाएगा। ग्रेजुएशन मल्टीपल एग्जिट सिस्टम पर आधारित होगा। अगर कोई छात्र एक वर्ष में पढ़ाई छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। वहीं, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री मिलेगी, लेकिन पीएचडी में डायरेक्ट प्रवेश नहीं दिया जाएगा। वहीं, चार वर्ष पर डिग्री के साथ छात्र पीएचडी में डायरेक्ट प्रवेश ले सकेगा।

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बदलाव में ये भी रहेगा

इसके साथ ही यूजीसी की तरफ से गेस्ट लेक्चरर के पढ़ाने के नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। अगर यूजीसी की तरफ से यह नियम लागू किया जाता है तो एक्सपर्ट कॉलेजों और सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे। इसके लिए पीएचडी और नेट-जेआरएफ की अनिवार्यता भी खत्म कर दी जाएगी।