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Special Story : जानिए क्यों खास था अलवर में स्थित भगवान शिव का 300 साल पुराना मंदिर

राजस्थान का नाम सुनते ही शाही महल, चिलचिलाती धूप और बड़े-बड़े किले दिमाग में तुरंत आ जाते हैं। इस शहर का अपना एक अलग इतिहास है। यही कारण है कि जो भी वहां जाता है, बस यहीं का होता है। उदयपुर, जैसलमेर, जयपुर और अलवर..

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अलवर

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Manoj Vashisth

May 25, 2023

300-Year-Old Shiva Temple Located In Alwar

300-Year-Old Shiva Temple Located In Alwar

राजस्थान का नाम सुनते ही शाही महल, चिलचिलाती धूप और बड़े-बड़े किले दिमाग में तुरंत आ जाते हैं। इस शहर का अपना एक अलग इतिहास है। यही कारण है कि जो भी वहां जाता है, बस यहीं का होता है। उदयपुर, जैसलमेर, जयपुर और अलवर राजस्थान के कुछ सबसे प्रसिद्ध शहर हैं लेकिन राजस्थान में स्थित अलवर शहर एक से अधिक कारणों से बहुत खास है। यह राजस्थान के उत्तर पूर्व में अलवर की पहाड़ियों पर स्थित एक सुंदर शहर है।

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अलवर शहर राजस्थान के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह शहर इस जातियों का प्रतिनिधित्व करता है खासकर राजपूत । जानिए इस शहर की परंपराओं का पता बिराटनगर के क्षेत्र से लगाया जा सकता है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व पुराना है। अलवर में आपको कई प्रसिद्ध किले और महल भी मिलेंगे।

इसके साथ ही आप शहर में हजारों मंदिरों को देख सकते हैं जो बीते युग की गौरवशाली कहानियां कह रहे हैं। आपको बता दें कि हाल ही में अलवर के राजगढ़ में स्थित भगवान शिव के 300 साल पुराने मंदिर को सड़क बनाने के लिए तोड़ दिया गया था।

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जानिए अलवर के राजगढ़ में स्थित 300 साल पुराने शिव मंदिर के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे। इस मंदिर के महत्व और इतिहास बहुत ही पुराना और बेहद खास है।

भगवान शिव का 300 साल पुराना मंदिर

अलवर के राजगढ़ में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर था। राजगढ़ स्थित यह शिव मंदिर करीब 300 साल पुराना था। इस मंदिर का निर्माण प्रताप सिंह और भक्तवर सिंह के समय में हुआ था। यह मंदिर समय और इतिहास की कसौटी पर खरा उतरा है और लंबे समय तक यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। इसके अलावा पुरातत्व की दृष्टि से भी यह मंदिर खास रहा है।

भगवान शिव के परिवार को समर्पित मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव के परिवार को समर्पित था। इस मंदिर में देवी पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की मूर्तियों को स्थापित किया गया था। इस कारण मंदिर राजगढ़ के लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध था। मंदिर के ढांचे को तोड़े जाने से पहले यहां की मूर्तियों को सबसे पहले मंदिर के पुजारी ने हटाया था।

स्थानीय लोगों के लिए मंदिर का महत्व
स्थानीय लोग इस मंदिर में पूजा करने आते थे। सावन के महीने में यह मंदिर एक अनोखी चमक बिखेरता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने में भगवान शिव अपनी माता सती से दोबारा मिले थे।

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चूना पत्थर से बना मंदिर
भगवान शिव का यह मंदिर चूना पत्थर से बना है। पहले के समय में अधिकांश मंदिर चूना पत्थर के बने होते थे। यह पुराने समय के दौरान सबसे टिकाऊ विकल्पों में से एक था। इस कारण से, आप देख सकते हैं कि भारत में मंदिर 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। साथ ही राजगढ़ नगर पालिका द्वारा मंदिर से हटाई गई मूर्तियों को किसी अन्य स्थान पर स्थापित किया जा रहा है।