
मत्स्य विश्वविद्यालय में इन कोर्सो को कराने की नहीं है मान्यता, फार्म भरने से पहले कर ले जांच
अलवर. राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय ने बिना सोचे समझे और मान्यता के लिए एमपीएड और एमएड कोर्स चला दिए हैं। देश के कई विश्वविद्यालय उनके यहां मानवीय और भौतिक संसाधन की कमी होते हुए एमएड कोर्स को बंद कर चुके हैं।
विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से बिना मान्यता लिए ही एमएड और एमपीएड जैसे कोर्स के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। इन कोर्सों के लिए कोई भी राज्य सरकार अपने स्तर पर इन्हें मान्यता नहीं दे सकती। कोई भी विश्वविद्यालय इन्हें अपने स्तर पर चला भी नहीं सकता है। जिस प्रकार नर्सिंग काउंसिल नर्सिंग कोर्स को और बार काउंसिल विधि की पढ़ाई के कोर्स को मान्यता देती है जिनके बिना कॉलेज नहीं चल सकते। प्रदेश में चलने वाले लॉ कॉलेजों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से बार-बार अस्थाई मान्यता लेनी होती है जिसके बिना विधि प्रथम वर्ष में प्रवेश भी नहीं हो सकता है।
विश्वविद्यालय ने बिना सोचे-समझे ही सेल्फ फाइनेंस स्कीम में एमएड और एमपीएड जैसे कोर्स के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए हैं। इन कोर्सों को चलाने के लिए विश्वविद्यालय को अभी तक मान्यता नहीं मिली है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की बिना अनुमति के इस तरह के कोई कोर्स मान्य नहीं हो सकते और इसके लिए सीट तक वो ही निर्धारित करते हैं। विश्वविद्यालय के पास स्वयं का भवन और स्थाई स्टॉफ तक नहीं है जिसक अभाव में यह कोर्स चलाए जा सकते हैं। कोई भी संस्था बिना इन संसाधनों के ये कोर्स संचालित नहीं कर सकती हैं। कई विश्वविद्यालयों ने इसकी शर्ते पूरी नहीं की है जिसके कारण यह कोर्स बंद कर दिया है। राजस्थान विश्वविद्यालय पहले प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एमएड का कोर्स कराता रहा है लेकिन इस वर्ष से उन्होंने इसे बंद कर दिया है। यहां बिना संसाधनों और मान्यता के ही इसे संचालित किए जाने की तैयारी चल रही है।
अभी तो पत्र भेजा है
विश्वविद्यालय के सेल्फ फाइनेंस कोर्स प्रभारी बाबू लाल खटीक का कहना है कि अभी तो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को कोर्स चलाने के लिए पत्र भेजा है जिन्होंने इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया है। मान्यता के लिए प्रयास किए जाएंगे।
Published on:
07 Jul 2018 12:58 pm
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