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ब्लड कैंसर से जूझ रही बहरोड़ के रतनपुरा की अंजलि बनेगी डॉक्टर

अलवर. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का नाम सुनते ही लोगों की नींद उड़ जाती है। जिंदगी बोझ लगने लगती है। तमाम उम्मीदें टूट जाती हैं, लेकिन बहरोड़-कोटपूतली जिले के रतनपुरा गांव की अंजलि यादव ने कैंसर से हार नहीं मानी। इस गंभीर बीमारी से लड़ते हुए वह न केवल अपना सपना पूरा कर रही है, बल्कि […]

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अलवर

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Jyoti Sharma

Nov 07, 2025

अलवर. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का नाम सुनते ही लोगों की नींद उड़ जाती है। जिंदगी बोझ लगने लगती है। तमाम उम्मीदें टूट जाती हैं, लेकिन बहरोड़-कोटपूतली जिले के रतनपुरा गांव की अंजलि यादव ने कैंसर से हार नहीं मानी। इस गंभीर बीमारी से लड़ते हुए वह न केवल अपना सपना पूरा कर रही है, बल्कि उन मरीजों के लिए भी प्रेरणा बन गई है, जो कैंसर का नाम सुनते ही सदमे में आ जाते हैं और जिंदगी से हार मान लेते हैं। अंजलि ने इसी साल नीट की परीक्षा पास कर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। वर्ष 2020 में अंजलि को पता चला कि उसे ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया) है। उस समय अंजलि की उम्र 15 साल थी। वह बताती है कि आएदिन बीमार रहने और शरीर में थकान रहने पर जांच करवाई, तो कैंसर का पता चला। ब्लड कैंसर की गंभीर बीमारी का नाम सुनते ही मेरे परिजन परेशान हो गए। अंजलि के पिता सतवीर यादव व माता सविता देवी यादव दोनों निजी स्कूल में शिक्षक हैं। अंजलि बचपन से ही प्रतिभाशाली है। अंजलि का एक छोटा भाई भी है।

नीट यूजी-2025 में ऑल इंडिया 5084वीं रैंकिंग

कैंसर के कठिन इलाज और थकावट के बीच भी अंजलि ने हार नहीं मानी और पढ़ाई में अपनी उत्कृष्टता दिखाई। अंजलि ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा में 98.83 प्रतिशत लाकर राज्य में तीसरा स्थान प्राप्त किया था तथा 12वीं में 96.80 प्रतिशत अंक लाकर अपनी क्षमता साबित की थी। अंजलि कहती है कि मेरा सपना डॉक्टर बनाना था। इसके लिए कैंसर के इलाज के दौरान भी तैयारी जारी रखी। नीट यूजी-2025 में ऑल इंडिया 5084वीं रैंक हासिल की। इस कठिन यात्रा में डॉ. अजय यादव और रूबी अलहुवालिया (संजीवनी लाइफ बियोंड कैंसर की संस्थापक) ने अंजलि को प्रेरित किया। बीमारी के दौरान हर कदम पर मोटिवेट किया। अंजलि को हर महीने ब्लड की जरूरत होती है। पिता पांच बार रक्त दे चुके हैं। इसके बाद ब्लड बैंकों से रक्त लेकर वे अंजलि को जिंदा रखे हुए हैं। अंजलि जयपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में गई और वहां देखा कि कैंसर रोगी किस तरह से सकारात्मक सोच के साथ खुद को जिंदा रखे हुए हैं। इससे भी अंजलि को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।

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