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भानगढ़ में कच्छी घोड़ी नृत्य की मन मोहक प्रस्तुति से कलाकारों ने मोहा मन

मत्स्य उत्सव के दौरान भानगढ़ में कलाकारों ने विभिन्न प्रकार के राजस्थानी नृत्य की दी प्रस्तुति

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भानगढ़(अलवर). कस्बे के समीप अंग्रेजी के वी आकार की अरावली पर्वत श्रंखलाओं की तलहटी में बसे ऐतिहासिक खंडहर शहर भानगढ़ में पर्यटन विभाग की ओर से मत्स्य उत्सव के तहत सोमवार को सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक विभिन्न राजस्थानी सांस्कृतिक नृत्यों का आयोजन हुआ। भानगढ़ के मुख्य प्रवेश पर स्थित हनुमान गेट पर टोंक जिले के निवाई से आए रामप्रसाद शर्मा एंड पार्टी के कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य की मन मोहक प्रस्तुति दी।

रामप्रसाद शर्मा ने बताया कि दर्शकों की ताली बजते ही कलाकार को शक्ति व जोश का अनुभव होता है। विशेष तौर से श्रावण, भादवा के महीने में कच्छी घोड़ी नृत्य का प्रचलन है। लोक देवता तेजाजी के मेले के दौरान इस नृत्य का आयोजन किया जाता है। इसे तेजा घोड़ी भी बोलते है। इसमें मुख्य कलाकार रामप्रसाद शर्मा, छत्रधारी शर्मा, राजूलाल शर्मा, ब्रजेश कसाना आदि थे।

बारां के कलाकारों ने चकरी नृत्य पेश किया

भानगढ़ के ​दूसरी प्राचीर के पास पार्क में विनय गुजरावत एंड पार्टी बारां के कलाकारों ने चकरी नृत्य पेश किया। पार्टी प्रमुख विनय गुजरावत ने बताया कि राजाओं के युद्ध से आने पर युद्ध की थकान दूर करने के लिए मनोरंजन के तौर पर चकरी लोक नृत्य का आयोजन किया जाता था। गोपाल धानुक एंड पार्टी शाहबाद बारां ने सहरिया स्वांग नृत्य प्रस्तुत किया। यह होली के अवसर पर किए जाने वाला नृत्य है। सहरिया स्वांग नृत्य 3 प्रकार के होते हैं। भस्मासूर, कालिका व होलिका सहरिया स्वांग नृत्य तथा मालाणी सांस्कृतिक कला केंद्र जसोल बालोतरा के कलाकारों ने घेर नृत्य प्रस्तुति का आयोजन किया। जिसमें भगवानाराम पालीवाल, छगन पालीवाल सहित अन्य कलाकार थे।

हनुमान गेट पर प्रवेश करने पर आने वाले पर्यटकों का तिलक लगाकर माला पहनाकर स्वागत किया गया। पर्यटक गोरान्वित महसूस कर रहे थे। दौसा से आए नीरज गौतम व मोसिन खां, राजगढ़ के रोहित मीना, अजमेर के ललित मेहरा ने बताया कि भानगढ़ में मत्स्य उत्सव को लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य कला का प्रदर्शन किया।

अव्यवस्थाएं भी आई नजर

कार्यक्रम के दौरान यहां पर दर्शकों के बैठने, पेयजल तथा मूलभूत सुविधाओं का अभाव नजर आया। दर्शकों की कमी के साथ प्रबंध व्यवस्था भी नहीं थी तथा अलवर से आए पंडित अनिल शर्मा ने बताया कि पुरातत्व विभाग पर्यटकों से प्रवेश शुल्क तो वसूल रहा है, लेकिन हनुमान गेट से अंदर किले तक पेयजल व शौचालय की सुविधा नहीं होना विभाग की उदासीनता दर्शाती है। कलाकारों की ओर से प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रशंसनीय था मत्स्य उत्सव के दिन प्रवेश निःशुल्क रखना चाहिए था। इस अवसर पर टहला तहसीलदार शरद राठिया, पंचायत पीओ महेश चंद शर्मा, पुलिस चौकी प्रभारी सतवीर मय पुलिस जाप्ता, हरीश भारद्वाज, ग्रामीण रुपेश गोयल, छात्राएं, छीतर सैनी, दो विदेशी व देशी पर्यटक, पुरातत्व कर्मी सहित अन्य स्थानीय नागरिक थे।