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मरीजों के लिए खाली नहीं बेड, वार्डों पर लगा दिए ताले

राजकीय महिला चिकित्सालय में महिलाओं को भर्ती करने के लिए बेड पर्याप्त संख्या में हैं लेकिन वार्डों में ताले लगे हैं। ऐसे में कई बार दो महिला मरीजों को एक ही बेड पर भी भर्ती किया जाता है। कई बार मरीज निजी अस्पतालों की ओर भी रुख कर लेते हैं। भरपूर सुविधाओं का दावा करने वाले जिम्मेदार यदि बंद वार्डों के ताले खोलें तो महिला मरीजों को राहत मिल सकेगी।

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अलवर

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mohit bawaliya

Feb 09, 2023

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मरीजों के लिए खाली नहीं बेड, वार्डों पर लगा दिए ताले,मरीजों के लिए खाली नहीं बेड, वार्डों पर लगा दिए ताले

राजकीय महिला चिकित्सालय बदहाल, सुविधाओं का अभाव

अलवर. राजकीय महिला चिकित्सालय में महिलाओं को भर्ती करने के लिए बेड पर्याप्त संख्या में हैं लेकिन वार्डों में ताले लगे हैं। ऐसे में कई बार दो महिला मरीजों को एक ही बेड पर भी भर्ती किया जाता है। कई बार मरीज निजी अस्पतालों की ओर भी रुख कर लेते हैं। भरपूर सुविधाओं का दावा करने वाले जिम्मेदार यदि बंद वार्डों के ताले खोलें तो महिला मरीजों को राहत मिल सकेगी।

ये है व्यवस्था

विभाग के अनुसार महिला चिकित्सालय में सभी वार्डों को मिलाकर कुल 317 बेड की व्यवस्था है। इसमें आईसीयू में 13, पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में कुल 55 बेड, सेफ्टिक लेबर रूम में 36, एनसी वार्ड में 20, सीएलआर में 15, पीएनसी वार्ड में 44, एफबीएनसी में 44, कोविड वार्ड में पांच, चिल्ड्रन वार्ड में 42, ईटीएटी वार्ड में 19 व एमटीसी वार्ड में 10 बेड की सुविधा है।


डब्ल्यूएचओ कार्यालय के पास बंद वार्ड

महिला अस्पताल में कई वार्ड ऐसे भी जहां अस्पताल प्रशासन की ओर से हमेशा ताला लगाकर रखा जाता है जबकि इन वार्डों में बेड आदि की सुविधा उपलब्ध है। डब्ल्यूएचओ कार्यालय के पास ही वार्ड बंद है। ऐसे में यदि इन वार्डोंं का ताला खुले तो विशेष परिस्थितियों में महिला मरीजों को इसका लाभ मिल सकेगा। हालांकि महिला चिकित्सालय की ऊपरी मंजिल पर बने एक वार्ड को कोरोना काल में उपयोग में लिया गया था। इसे कोरोना काल में मेल वार्ड के रूप में काम में लिया गया था, जिसे बाद में बंद कर दिया गया।

खुलवाए जाएंगे बंद वार्ड
अस्पताल में बंद वार्डों के संबंध में पता कर पीएमओ व अस्पताल प्रभारी को इनके उपयोग को लेकर आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे ताकि अस्पताल आने वाली गर्भवती महिलाओं को भर्ती के दौरान परेशानी नहीं हो। अभी अस्पताल में ऐसी परिस्थिति नहीं आई है कि एक बेड पर दो महिलाओं को भर्ती किया जाता हो।
डॉ. श्रीराम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अलवर