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अलवर लोकसभा उपचुनाव: भाजपा दावेदारों में ढूंढ़ रही जीत की संभावना, अभी तक नहीं दिया टिकट

अलवर में उपचुनावों की घोषणा होने के बाद भी भाजपा अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई हैै। जबकि कांग्रेस ने डॉ. करण सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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अलवर

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Prem Pathak

Jan 02, 2018

bjp is still searching their candidate in alwar loksabha elections

अलवर. लोकसभा उपचुनाव की आहट के साथ ही प्रत्याशी की खोज में जुटी भाजपा करीब तीन महीने की मैराथन मंथन के बाद अब तक यह तय नहीं कर पाई है कि किसे मिलेगा टिकट। जबकि भाजपा प्रदेश स्तर पर दावेदारों का पैनल तैयार कर दिल्ली भी भिजवा चुकी है। अब पार्टी के अंदरखाने यह चर्चा है कि पार्टी अंतिम समय तक पैनल शामिल दो-तीन नामों पर ठोक बजाकर जीतने की क्षमता के आंकलन में जुटी है। उधर, श्रम मंत्री डॉ. जसवंत यादव व उनके समर्थक उनका नाम तय होने की बात कह कर चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं।

अलवर लोकसभा उपचुनाव के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं कांग्रेस उपचुनाव के लिए करीब एक सप्ताह पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। केन्द्र व राज्य में सत्तारूढ़ होने एवं दो महीने तक सर्वे, रायशुमारी के साथ मैराथन बैठकों का दौर चलने के बाद भी भाजपा अब तक प्रत्याशी को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल पाई है।


कांग्रेस ने पहले घोषणा कर भाजपा का गड़बड़ाया गणित


भाजपा प्रत्याशी के चयन में देरी का कारण कांग्रेस की ओर से पहले प्रत्याशी घोषित करना भी माना जा रहा है। जिले में अहीर मतों की संख्या ज्यादा होने के कारण प्राय: सभी प्रमुख दलों की नजर इसी वर्ग पर रहती है।


भाजपा भी करीब दो दशक से इसी वर्ग के वोटों पर नजर टिकाए हुए है। लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के पहले ही अहीर वर्ग से प्रत्याशी उतार देने से भाजपा का वोट गणित गड़बड़ा गया है। अहीर के अलावा जिले में मेव, अनसूचित जनजाति व अनसूचित जाति वर्ग के भी अच्छी संख्या में वोट हैं। ये वर्ग जिले की राजनीति को चुनावों में प्रभावित करते रहे हैं। वहीं ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, सैनी वर्ग के वोटों इन वर्गों की तुलना में कम है।

इस कारण भाजपा उपचुनाव में किसी ऐसे प्रत्याशी पर दांव लगाना चाहती है जो कि बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही पार्टी के परम्परागत वोटों को भी साध सके। इसी उधेड़बुन में पार्टी को प्रत्याशी चयन में पसीने छूट रहे हैं।

अब तक नाम तय नहीं, किसे मिलेगा टिकट?

वैसे तो प्रदेश भाजपा की ओर से अलवर उपचुनाव के लिए करीब तीन दिन पहले दावेदारों का पैनल तैयार कर अनुमोदन के लिए पार्टी के संसदीय बोर्ड को भेज दिया गया है। पार्टी की ओर से सोमवार को दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक होने की बात भी कही गई, लेकिन दिन भर के इंतजार के बाद रात तक पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई। वैसे पार्टी नेता दबी जुबान में उपचुनाव के लिए श्रम मंत्री डॉ. जसवंत यादव का नाम तय दिल्ली भेजने की बात कह रहे हैं, फिर भी भाजपा अब तक नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। पार्टी से जुड़े लोगों का मानना है कि उपचुनाव सरकार का लिटमस टेस्ट है, इसलिए वह प्रत्याशी चयन में किसी प्रकार की कसर बाकी नहीं छोडऩा चाहती। जीत के लिए पार्टी संभावित प्रत्याशियों के नाम पर सर्वसम्मति व वोटों की गणित को ठोक बजाकर देख रही है।