श्वानों में कैनाइन डिस्टेम्पर संक्रमण, चार महीने में 125 संक्रमित
श्वानों में कैनाइन डिस्टेम्पर बीमारी तेजी से फैल रही है। इससे कई श्वानों की मौत भी हो चुकी है। पालतू ही नहीं स्ट्रीट डॉग्स में भी इस बीमारी के संक्रमण मिले हैं। पिछले चार महीने के भीतर पशु चिकित्सालय में की गई जांच में करीब सवा सौ श्वान इस बीमारी से ग्रसित मिले हैं।
अलवर•May 26, 2025 / 06:23 pm•
Pradeep


आंख व नाक से पानी निकलना व उल्टी-दस्त हैं बीमारी के संकेत
पशु चिकित्सालय में बड़ी संख्या में इलाज के लिए पहुंच रहे डॉग्स
अलवर. श्वानों में कैनाइन डिस्टेम्पर बीमारी तेजी से फैल रही है। इससे कई श्वानों की मौत भी हो चुकी है। पालतू ही नहीं स्ट्रीट डॉग्स में भी इस बीमारी के संक्रमण मिले हैं। पिछले चार महीने के भीतर पशु चिकित्सालय में की गई जांच में करीब सवा सौ श्वान इस बीमारी से ग्रसित मिले हैं। चिकित्सकों का कहना है कि श्वान में समय पर वैक्सीनेशन नहीं करवाने पर यह बीमारी फैलती है। स्ट्रीट डॉग्स के तो वैक्सीनेशन नहीं होता है, इसलिए उनमें इस बीमारी का ज्यादा खतरा रहता है। कुत्तों से अन्य जानवरों में भी यह बीमारी फैल सकती है। गुजरात के गिर में 2018 में 23 ङ्क्षसहों और जयपुर के नाहरगढ़ पार्क में बाघों को यह संक्रमण मौत के घाट उतार चुका है।
वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुज कुमार तोमर ने बताया कि श्वान में चार से छह हफ्ते बाद वैक्सीनेशन शुरू हो जाना चाहिए और 12 से 16 हफ्तों में सभी टीके लगने चाहिए। हर साल बूस्टर डोज लगवाने के साथ ही तीन महीने के श्वान को हर 15 दिन, 3 से 6 महीने के श्वान को हर 30 दिन और 6 महीने बाद हर 3 महीने में कृमिनाशक दवा पिलाना भी जरूरी है। श्वान खरीदते समय उसके वैक्सीनेशन की पूरी जानकारी रखें।
यह हैं बीमारी के लक्षण
मौसम में बदलाव की वजह से यह बीमारी फैलती है। इसमें श्वान को खांसी व जुकाम होते हैं और उसकी आंख और नाक से लगातार पानी बहता है। इसके बाद उलटी, दस्त, बुखार और शरीर में सुस्ती बनी रहती है। इससे मांसपेशियों में ऐंठन भी हो जाती है। श्वान का वजन घटने लगता है और उचित समय पर इलाज नहीं मिला तो श्वान मर भी सकता है।
तेजी से फैलता है संक्रमण
इस बीमारी से ग्रसित श्वान के संपर्क में आने पर दूसरे श्वान इसका शिकार हो रहे हैं। कार के टायर या जूते-चप्पल पर बीमार श्वान की उल्टी या मल लग गया है तो इसके संपर्क में आते ही श्वान बीमार हो जाएगा। एक ग्राम उल्टी ही सैकड़ों श्वान को इस बीमारी से ग्रसित कर सकती है।
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