सरसों की फसल खेतों में पकी खड़ी है। उसकी कटाई करने के लिए मजदूरी भी बढ़ा दी है। किसानों के अनुसार बदलते मौसम को देखते हुए सरसों की कटाई तेजी से की जाने लगी है। एकाएक कटाई का कार्य बढ़ जाने से मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। पहले सर्दी में पारा गिरने से भारी नुकसान हुआ। अब बादल छाए रहने से बारिश व ओलावृष्टि की संभावना से चिंता बढ़ रही है। साथ ही अब बारिश या बूंदाबांदी होने से सरसों सहत अन्य फसल उत्पादन पर विपरीत असर होने से किसान चिंतित हैं। भूजल स्तर गिरने से मालाखेड़ा क्षेत्र में इस बार सरसों की बुवाई का रकबा जौ, गेहूं, चना तीनों जींस से मिलाकर अधिक है। शीतलहर से सरसों की फसल में काफी नुकसान हुआ था। कई दिन से बादल छाने और बूंदाबांदी होने से किसान संकट में हैं। सरसों की फसल की एक साथ कटाई करवाने को किसान मजबूर हैं। पहले मजदूरी 300 रुपए प्रति मजदूर प्रति दिन की थी जो बढकऱ 400 के पार पहुंच गई। इस प्रकार से भी किसानों को अधिक मजदूरी चुकानी पड़ रही है।
थ्रेसर पहुंच रही खेतों में
परसा का बास गांव में थ्रेसर से पूरी फसल को निकलवाने के लिए किसान जुटा हुआ है। किसान गुड्डूराम, अजय कुमार, गणपत सिंह, ईश्वरी सिंह, कमल सिंह, धर्मी चौधरी आदि का कहना है बारिश और ओलावृष्टि की आशंका के चलते सरसों की फसल की तुरंत कटाई करवा कर घर ले जाने की जुगत में लगे हुए हैं। इस बार मजदूरी भी ज्यादा देनी पड़ रही है।
कर रहे गिरदावरी रिपोर्ट तैयार
कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी पवनसिंह शेखावत, शिवजी राम मीणा, जितेंद्र कुमार ने बताया कि राजस्व विभाग सरसों की फसल की गिरदावरी करने में लगा है। पिछले दिनों तेज सर्दी, पारा से सरसों की फसल में नुकसान का अंदेशा जताया गया था। फिलहाल बारिश होती है तो सरसों की फसल को भारी नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।