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राजस्थान में सेना व आपदा प्रबंधन की टीमें भूकंप व बाढ़ से मुकाबले के लिए करेंगी अभ्यास, इस दिन अपना शौर्य दिखाएंगी टीमें

अलवर में आपदा नियंत्रण व सेना की टीम भूकंप और बाढ़ से मुकाबले के लिए राहत अभ्यास करेंगी। इस अभ्यास को राहत नाम दिया गया है।

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अलवर

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Hiren Joshi

Feb 06, 2019

Disaster Management Exercise Rahat In Rajasthan on 11 And 12 February

राजस्थान में सेना व आपदा प्रबंधन की टीमें भूकंप व बाढ़ से मुकाबले के लिए करेंगी अभ्यास, इस दिन अपना शौर्य दिखाएंगी टीमें

अलवर. भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जान-माल का नुकसान नहीं हो इसके लिए दो दिन के लिए विभिन्न विभाग जुटेंगे। प्रदेश की राजधानी जयपुर और कोटा के साथ ही अलवर में दो दिन के लिए यह अभ्यास होगा। 11-12 फरवरी को होने वाले संयुक्त अभ्यास का नाम राहत दिया गया है। यह आपदा राहत अभ्यास सेना की सप्त शक्ति कमांड के तत्वावधान में होगा। सप्त शक्ति कमांड के कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने सोमवार को जयपुर में इस बारे में जानकारी दी। इसके तहत पहले दिन सप्त शक्ति कमांड में सेमिनार और टेबल टॉप एक्सरसाइज होगी। इसके बाद फील्ड एक्सरसाइज होगी। इस अभ्यास में सेना के साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन और राज्य आपदा प्रबंधन की टीम शामिल होगी।

गौरतलब है कि राजस्थान भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं के साए में रहता आया है। यहां मुख्य रूप से भूकंप की दृष्टि से तीन संवेदनशील क्षेत्र हैं। कन्नोई फाल्ट, गे्रट बाउंडरी फाल्ट और जयपुर डिप्रेशन प्रमुख हैं। इसके अलावा कई अन्य प्रमुख फाल्ट हैं।

आपदा प्रबंधन है जरूरी, राजस्थान अपेक्षाकृत सुरक्षित

भूगर्भ विज्ञानी प्रो. एम. के. पंडित का कहना है कि भूकंप जैसी आपदा के लिए प्रबंधन बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लेकर गुजरात तक अरावाली पर्र्वतमाला का क्षेत्र करोड़ों वर्ष पहले भूगर्भीय घटनाओं, खासकर भूकंप का सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र रहा है। अब यह स्थिति हिमालय क्षेत्र में है। इसके बावजूद हिमालयन फाल्ट और अरावली के फाल्ट का जोड़ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली-मेरठ तक आता है। यह आगे हरिद्वार तक है। प्रो. पंडित का कहना है कि राजस्थान में इस फाल्ट की बजाय कनोई फॉल्ट का खतरा अधिक है। उन्होंने बताया कि देश भूकंप की दृष्टि से चार जोन में विभाजित किया गया है। इनमें राजस्थान के अधिकांश क्षेत्र जोन 2 में आते हैं जो सबसे कम खतरे वाला क्षेत्र है।