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पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दिया 68 पेज का स्पष्टीकरण, बंद खानों के खुलने पर स्थिति साफ नहीं

सरिस्का सीटीएच (CTH) के पुनर्निर्धारण मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में 68 पेज का स्पष्टीकरण जमा किया है। इस स्पष्टीकरण के मुताबिक प्रदेश सरकार व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अपने पूर्व में कोर्ट को दी गई दलीलों पर कायम है।

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सरिस्का सीटीएच (CTH) के पुनर्निर्धारण मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में 68 पेज का स्पष्टीकरण जमा किया है। इस स्पष्टीकरण के मुताबिक प्रदेश सरकार व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अपने पूर्व में कोर्ट को दी गई दलीलों पर कायम है। यानी जो तय किया है वह नियमों के मुताबिक है, लेकिन इस स्पष्टीकरण में यह नहीं बताया गया कि सीटीएच पुनर्निर्धारण से बंद खाने खुलेंगी या नहीं।

हाईकोर्ट ने कहा था कि क्या उनके 15 मई 2024 के आदेश को यह पुनर्निर्धारण सुपरसीट (किसी चीज को हटाकर या प्रतिस्थापित करके उसका स्थान लेना या उसे बदल देना) तो नहीं करेगा? यानी खानों को जो बंद करने के आदेश दिए गए थे, उसमें इस पुनर्निधारण से बदलाव तो नहीं होगा। इसका जवाब मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में साफ नहीं किया। अब कोर्ट में पेश किए गए स्पष्टीकरण पर सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

स्पष्टीकरण की खास बातें

स्पष्टीकरण के पेज 5 पर कहा गया है कि 10 जनवरी 2025 को सेंचुरी पुनर्निर्धारण कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन पेज 21 पर लगाए एनेक्चर ए के अनुसार 23 अप्रैल 2025 को उप वन संरक्षक की और से एक पत्र जारी कर सरिस्का सेंचुरी की जगह सरिस्का सीटीएच के पुनर्निर्धारण के आदेश जारी किए गए। यानी मैचुरी की जगह सीटीएच का पुनर्निर्धारण हो गया, जबकि कोर्ट ने सैचुरी पुनर्निर्धारण के आदेश दिए गए है। कोर्ट ने आपत्तियां न मांगने समेत नियमों का पालन न होने की बात कही ची, इस पर मंत्रालय ने कहा है कि सीटीएच के परिवर्तन (पुनर्निधारण) का पूरा कार्य वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुसार किया गया है, जैसा कि 11 दिसंबर 2024 को न्यायालय की ओर निर्देशित किया गया था। की घोषणा के संबंध में सार्वजनिक परामर्श की कोई आवश्यकता नहीं है।

एनटीसीए ने इन शर्तों के साथ दी थी अनुमति

मंत्रालय ने स्पष्टीकरण में लिखा है कि एनटीसीए ने सरिस्का बाघ अभयारण्य की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के लिए अपनी सशर्त स्वीकृति प्रदान की थी। कोर से बफर तक पुनर्निर्धारण के लिए प्रस्तावित पश्चिमी खंड में बाघों का घनत्व कम है, फिर भी बाघों की उपस्थिति की पुष्टि और व्यापक भू-दृश्य संपर्क में उनकी भूमिका के कारण यह पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसलिए, यह अनुशंसा की जाती है कि वन्यजीव आवासों के लिए हानिकारक किसी भी विकासात्मक गतिविधि से बचा जाए।
प्रस्तावित बफर क्षेत्र और सीटीएच में गश्त, सामुदायिक सहभागिता और आवास निगरानी बढ़ाकर सुरक्षा उपायों को बनाए रखा जाना चाहिए या उन्हें मजबूत किया जाना चाहिए। यह भी सलाह दी जाती है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए उपाय किए जाएं।
इस क्षेत्र के निकटवर्ती गांवों में और इसके आसपास रणनीतियों को सक्रिय रूप से लागू किया जाना चाहिए।
यह सुनिश्चित करना कि इस पुनर्गठन से आवास निरंतरता और वन्यजीव आवागमन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। सरिस्का बाघ अभयारण्य के दीर्घकालिक संरक्षण लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए उपयुक्त पारिस्थितिक सुरक्षा उपाय और अनुकूली प्रबंधन पद्धतियां क्रियान्वित की जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में हेरफेर किया गया है। यह कोर्ट की अवमानना है। जब कोर्ट ने सेंचुरी पुनर्निर्धारण के आदेश किए हैं, तो फिर सीटीएच क्यों बीच में लाया गया? इससे साफ है कि बंद खानों को खोलने के लिए ऐसा किया गया, लेकिन कोर्ट ने 6 अगस्त की सुनवाई में काफी साफ कर दिया है। हम चाहते हैं कि कोर्ट के पूर्व के आदेश के मुताबिक सेंचुरी व सीटीएच एक करके 1823 वर्ग किसी एरिया किया जाए, ताकि टाइगर पूरे जंगल में घूम सकें। - स्नेहा सोलंकी, अध्यक्ष टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट