
अलवर। सेवानिवृत्ति के बाद बुजुर्गों का ज्यादातर समय घर परिवार की जिमेदारियां उठाने में ही निकल जाता है, लेकिन समाज में रहने वाले कुछ बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जो अपनी दिनचर्या में कुछ समय निकालकर समाज की भलाई के काम करते हैं। ऐसे ही एक सीनियर सीटिजन हैं दिनेश भाटिया। जिन्होंने गोसेवा को अपना ध्येय बनाया हुआ है।
दिनेश भाटिया के दिन की शुरुआत बीमार, बुजुर्ग व दिव्यांग गोमाता की सेवा से होती है। दिनेश सामान्य चिकित्सालय के ट्रोमा सेंटर के प्रभारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इन्होंने गोमाता के लिए अलवर के हसन खां मेवात नगर के डी पार्क में मंदिर के पास दिव्यांग गायों के लिए अपने खर्चे से एक रोटी बॉक्स भी लगाया है। इसमें प्रतिदिन कॉलोनी के लोग रोटी डालते हैं। भाटिया इन रोटियों को गोशाला तक पहुंचाने का काम हैं। इनका कहना है कि कुछ और जगहों पर भी ऐसे बॉक्स लगवाने की योजना है। हर घर से एक रोटी गोमाता की निकलनी चाहिए। यह हमारी संस्कृति व परंपरा है, लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है।
अलवर शहर के तुलेडा रोड गुर्जरबास पर गौ जीव परमार्थ सेवा संस्था की ओर से गोशाला का संचालन किया जा रहा है। इसमें दिनेश भाटिया नियमित सेवा देते हैं। यहां करीब 95 गाय हैं। इसमें करीब 60 गायों के एक पैर नहीं हैं और 30 गाय नेत्रहीन हैं। यह स्थान शहर से दूर है। गोशाला तक पहुंचने के लिए सीधी व पक्की सड़क नहीं है। दिनेश भाटिया स्वयं यहां पर दान करते हैं, साथ ही सेवा भी करते हैं।
दिनेश भाटिया प्रतिदिन सुबह 7 बजे 6.50 क्विंटल हरा चारा टैंपो से लेकर गोशाला जाते हैं। यह व्यवस्था गोभक्तों से मिली सहयोग राशि से की जाती है। यहां रहने वाली गाय और नंदी इनकी सेवा को पहचानते हैं इसलिए इनकी एक आवाज से इनके पास आ जाते हैं। चारे के अलावा प्रत्येक मंगलवार, पूर्णिमा और एकादशी को गुड आदि की व्यवस्था करते हैं। उनके साथ सेवानिवृत्त सतीश शर्मा, सेवानिवृत्त राजपाल यादव, सेवानिवृत्त रवि भार्गव, सेवानिवृत्त घनश्याम शर्मा, सेवानिवृत्त उमा शंकर शर्मा सहयोग करते हैं।
Published on:
10 Nov 2024 03:53 pm
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