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सरकारी तंत्र की अनदेखी : शिक्षा के मंदिर में गोबर के उपलों का ठिकाना, विद्यालय भवन पर अतिक्रमण

जहां कभी नन्हें-मुन्नों की किलकारियां गूंजती थी, अब अतिक्रमण होने से खो रहा अपना अस्तित्व। मुरली का बास का सूना पड़ा विद्यालय भवन हालात कर रहा बयां।

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पिनान. कहावत है कि घर का पूत कुंवारा डोले, पाड़ोसी का फेरा… जैसे हालात इन दिनों सरकारी विद्यालयों को लेकर गांव व ढाणियों में नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में ऐसे कई गांव व ढाणियां हैं, जिनमें स्थानीय स्तर पर सरकारी विद्यालय भवन है, फिर भी पड़ोस के गांवों की स्कूलों में शिक्षा के लिए नन्हें बालकों को मजबूरी में पैदल चलकर जाना पड़ रहा है। समय-समय की बात है। जब सरकार घर-घर शिक्षा की अलख जगाने के लिए गांव-ढाणियों में गुरुकुल रूपी पाठशाला संचालित कर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का अवसर प्रदान करती थीं, लेकिन वर्तमान में विद्यालय भवन की परवाह है न देश के भविष्य का खयाल। इन हालातों को रैणी तहसील क्षेत्र के मुरली का बास का सूना पड़ा विद्यालय भवन बयां कर रहा है, जहां कभी नन्हें-मुन्नों की किलकारियां गूंजती थी, अब अतिक्रमण होने से अपना अस्तित्व ही खो रहा है।

सूत्रों के अनुसार मुरली का बास में संचालित प्राथमिक विद्यालय सत्र 2012-13 में शून्य नामांकन के चलते पिनान बालिका विद्यालय में विलय किया गया था। करीब छह माह पश्चात पुनः इसी स्कूल को सुचारू कर दिया गया। सत्र 2013-14 में पुनः राजकीय पीएम श्रीराजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पिनान में विलय कर मुरली बास स्कूल पर ताला जड़ दिया गया। करीब एक दशक से बंद पड़ा विद्यालय भवन अब अतिक्रमण की भेंट चढ़ता जा रहा है। वर्तमान में चार कक्षा कक्ष, रसोई व संस्था प्रधान कक्ष में लटके ताले देश के भविष्य का इंतजार संजोए हुए है।

गांव के स्कूल को छोड़ चार किलोमीटर दूर पहुंच रहे बालक-बालिकाएं –

गांव में बना आलिशान विद्यालय भवन को छोड़कर मुरली व गिल्लु का बास के करीब पचास बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए करीब तीन से चार किलोमीटर दूर पिनान पहुंच रहे हैं। सूनेपड़े भवन को अब स्थानीय लोग उपले, ईधन, गोबर, पानी आदि डालकर कर अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं।

ग्रामीणों को सताने लगी बच्चों के भविष्य की चिंता

लोगों का कहना है कि खाली पड़े भवन पर ईंधन, गोबर आदि डालकर अतिक्रमण करना लोगों की मंशा नहीं है, लेकिन शिक्षा से जुड़ी बात कोई करता है तो गांव वाले सरकारी तंत्र के सहयोग के लिए तत्पर है। बस सरकार बंद पड़े भवन को पुनः संचालित कर बच्चों के भविष्य को संवारने की ओर ध्यान दे।

विभाग सहित सफेदपोशों से कर चुके मांग

मुरली का बास में एक दशक से बंद विद्यालय को लेकर स्थानीय लोगों ने विभाग सहित कई नेताओं को पुनः स्कूल संचालित करने की मांग की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे

खाली पड़े विद्यालय भवन पीईईओ ऑफिस पिनान के अधीन है। स्थानीय प्रिंसिपल की ओर से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा आंगनबाड़ी या अन्य सरकारी कार्य उपयोग के लिए भवन को दिया जा सकेगा।

राजेन्द्र कुमार मीणा, सीबीईओ, रैणी।