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नटनी का बारा को जानना है तो पीछे चलना पड़ेगा 1924 में, जो पर्यटकों को करता है रोमांचित …देखे यह

सरिस्का की वादिया जितनी खूब सूरत है, उतनी ही यहां कई ऐतिहासिक विशेषताएं भी समाहित हैं। अब नटनी के बारा को ही ले लीजिए...। यह एक सुरम्य स्थल है। यह अलवर की रूपारेल नदी पर बना जल विभाजक स्थान है, जिसे नटनी का बारा कहा जाता है।  

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Natni's Bara

यह एक सुरम्य स्थल है। यह अलवर की रूपारेल नदी पर बना जल विभाजक स्थान है,

अलवर. सरिस्का की वादिया जितनी खूब सूरत है, उतनी ही यहां कई ऐतिहासिक विशेषताएं भी समाहित हैं। अब नटनी के बारा को ही ले लीजिए...। यह एक सुरम्य स्थल है। यह अलवर की रूपारेल नदी पर बना जल विभाजक स्थान है, जिसे नटनी का बारा कहा जाता है।

सरिस्का और सिलीसेढ़ आने वाले पर्यटक नटनी के बारा भी घूमने आते हंै। यहां पानी में काफी संख्या में मछलियां और बड़े आकार के कछुए भी हंै, जिनको देख पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं। इतिहास के जानकार बताते हैं कि 1924 में अलवर महाराज जय ङ्क्षसह और भरतपुर महाराज कृष्ण ङ्क्षसह के बीच जल समझौता हुआ था तब, नटनी का बारा का निर्माण करवाया गया था।

इस जल विभाजक से रूपारेल नदी का 55 प्रतिशत पानी भरतपुर और 45 प्रतिशत पानी अलवर के जयसमंद बांध में आता है। इस समझौते के परिणाम स्वरूप ही अलवर शहर में जयकृष्ण क्लब की स्थापना भी की गई थी।