
अलवर.
जिले में अस्पताल व लैब के बायोवेस्ट का उचित निस्तारण नहीं किया जा रहा हैं। शहर के कई सरकारी व निजी अस्पतालों का बायोवेस्ट बाहर खुले स्थानों पर डाला जा रहा है। जो पानी व हवा के सम्पर्क में आकर बीमारी की संभावना को बढ़ा रहा है। इसके कारण कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना हुआ है। सड़क किनारे अथवा खुले में पड़ा बायोवेस्ट बारिश के पानी के साथ फैलता रहता है। लावारिस जानवर भी इसे इधर-उधर फैला रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन का इस समस्या की ओर ध्यान ही नहीं जा सका है।
जिले में एक सामान्य, एक जनाना, एक शिशु अस्पताल, एक सैटेलाइट अस्पताल, छह सिटी डिस्पेंसरी, 36 सीएचसी, 122 पीएचसी, 762 स्वास्थ्य सब सेंटर, 120 निजी अस्पताल, 50 छोटे अस्पताल व क्लीनिक, 50 से अधिक स्वास्थ्य जांच लैब चल रही हैं। इन सभी में किसी न किसी रूप में बायोवेस्ट निकलता है। इसका निस्तारण निर्धारित प्रोटोकाॅल के साथ होना आवश्यक है। इसके लिए एमआईए में बायोवेस्ट के निस्तारण का प्लांट स्थापित है। इसके बाद भी जिले के बहुत से अस्पताल व लैब बायोवेस्ट को खुले में फेंक रहे हैं। ऐसे में यह बायोवेस्ट पानी व हवा के सम्पर्क में आकर एचआईवी व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को आमंत्रण दे रहा है।
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कचरे में यूज्ड सीरिंज, दवाईयां, ब्लड, कॉटन एवं गंदी खून से सनी पट्टियां, मरीजों को चढ़ाए जाने वाले ब्लड के डिस्चार्ज पैकेट, डिस्चार्ज निडिल, खून से सने बायो वेस्ट, एचआईवी पॉजीटिव रोगी से जुड़े वेस्ट, हेपेटाइटिस सहित अन्य कई तरह की संक्रमित सामग्री पानी व हवा के सम्पर्क में आकर लोगों तक पहुंचती हैं। इनसे मरीजों में एचआईवी सहित कई संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
Published on:
10 Sept 2024 11:12 am
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