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खैरथल-तिजारा का नाम व मुख्यालय बदलने पर क्या बोले खैरथल के लोग ? देखें यहां  

खैरथल-तिजारा जिले का नया नाम अब भर्तृहरि नगर होगा। भिवाड़ी को जिला मुख्यालय का दर्जा मिलेगा। अभी जिला मुख्यालय का दर्जा खैरथल को मिला हुआ है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।

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खैरथल. वर्तमान में जिला कलक्टर का कार्यालय कृषि उपज मंडी समिति के एग्रो टावर में संचालित है।

खैरथल-तिजारा जिले का नया नाम अब भर्तृहरि नगर होगा। भिवाड़ी को जिला मुख्यालय का दर्जा मिलेगा। अभी जिला मुख्यालय का दर्जा खैरथल को मिला हुआ है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।

नाम व मुख्यालय बदलने पर लोगो की प्रतिक्रिया ?

जिले का नाम भर्तृहरि नगर करने पर कई लोगों ने सवाल भी उठाए हैं। लोगों का कहना है कि भर्तृहरि धाम तो अलवर जिले में है। नाम ही बदलना था, तो अलवर जिले का बदल देते। लोगों का कहना है कि हमने जिले में विकास की मांग की थी। सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए। नगर परिषद खैरथल के नेता प्रतिपक्ष विक्रम सिंह चौधरी उर्फ विक्की का कहना है कि किसी जगह का नाम बदल देना भाजपा की पुरानी आदत है। इसी प्रकार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव गिरीश डाटा ने कहा कि सरकार का यह कदम न्यास संगत नहीं है। यह खैरथल के अस्तित्व को समाप्त करने की साजिश है। इधर, भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रमिल जसोरिया ने कहा कि धार्मिक संतों के नाम पर जिले का नाम परिवर्तन किया गया है। जिसका हम स्वागत करते हैं।

सिर्फ नाम बदलना काफी नहीं

यह नाम बदलने का कार्य ठीक दो साल बाद हो रहा है, क्योंकि 4 अगस्त 2023 को तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने इस जिले का गठन किया था। इस बारे में खैरथल के लोगों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि इस निर्णय से क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी, लेकिन सिर्फ नाम बदलना काफी नहीं होगा। सरकार को इस जिले के हालात भी बदलने चाहिए, जिससे यहां की सूरत बदले। उल्लेखनीय है कि खैरथल-तिजारा जिले को अस्तित्व में आए दो वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी यह नाममात्र का ही जिला है। विकास को लेकर उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई।

ये कमियां होनी चाहिए दूर

शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड में आज भी प्रदेश में 33 जिले हैं। विभाग खैरथल-तिजारा को अलग जिला नहीं मानता।
कृषि उपज मंडी के एग्रो टावर को अस्थायी कलक्ट्रेट बनाया हुआ है। ज्यादातर सरकारी विभागों में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है, न पूरे संसाधन हैं।
खैरथल में न तो स्थायी सचिवालय है और न ही सभी जनता से जुड़े सभी विभाग हैं। जो सरकारी विभागों के कार्यालय हैं, वे किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं।
परिवहन, जलदाय, वन, विद्युत जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए लोगों को अलवर या भिवाड़ी जाना पड़ता है।
बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। इसके अलावा अतिक्रमण की भरमार है।
खैरथल-तिजारा के जिला बनने के बाद यहां केवल जमीनों की कीमतें बढ़ीं, विकास कहीं नजर नहीं आ रहा।

सराहनीय निर्णय

खैरथल-तिजारा जिले का नाम महान तपस्वी बाबा श्री भर्तृहरि नाथ महाराज के नाम पर रखे जाने के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। अलवर बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि रही है। इस निर्णय से क्षेत्र के सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मैं जनभावनाओं को नज़र में रखते हुए लिए गए इस निर्णय के लिए मुयमंत्री का अभिनन्दन करता हूं - भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री