
अलवर. जिले के ब्लॉक क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था वेंटीलेटर पर है। कहीं पर चिकित्सकों की कमी है तो किसी में संसाधनों का अभाव मरीजों के लिए परेशानी बना हुआ है। कई जगह चिकित्सा केन्द्रों को क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन व्यवस्थाएं व सुविधाएं पूर्व की भांति ही है। खेरली, कठूमर, राजगढ़, मालाखेड़ा में चिकित्सा व्यवस्था एवं यहां के चिकित्सा केन्द्रों की राजस्थान पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो हालात कुछ इसी तरह के सामने आए। पढ़े यह रिपोर्ट।
खेरली. उप जिला अस्पताल का दर्जा मिला, सुविधाएं नहीं बढ़ीखेरली. उप जिला अस्पताल खेरली को दर्जा मिले दो वर्ष से हो गए, लेकिन सुविधाओं के अभाव है। अस्पताल भवन जर्जर हो रहा है। दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है और छत की पट्टियां क्षतिग्रस्त हैं। तत्कालीन राज्य सरकार ने बजट घोषणा में खेरली सीएचसी को उप जिला अस्पताल घोषित किया था। बाद में करोड़ों की राशि स्वीकृत होने के बावजूद कोई कार्य शुरू नहीं हुआ। अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर दो दशकों से बंद है। स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्जन के पद 15 वर्षों से रिक्त हैं। ब्लड बैंक नहीं है, केवल ब्लड स्टोरेज यूनिट है। आवश्यकता पड़ने पर बाहर से ब्लड मंगवाया जाता है। कमरों की कमी के कारण दो-दो चिकित्सक एक ही कक्ष में मरीज देखते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ एक कमरे में बैठते हैं, जबकि दंत चिकित्सक बारी-बारी से अन्य कक्षों में बैठते हैं। लैब में सेमी ऑटो एनालाइजर मशीन से सीमित जांचें ही संभव हैं। अस्पताल प्रशासन ने फुली ऑटो एनालाइजर मशीन की मांग की है, लेकिन पूरी नहीं हो रही। अस्पताल में 50 बेड की स्वीकृति है, पर जगह के अभाव में केवल 30 बेड ही लगाए गए हैं। 20 बेड के लिए जगह नहीं है। एमआरआई, सीटी स्कैन और प्लास्टर कक्ष जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं। ऑक्सीजन प्लांट बंद है। हालांकि प्रति दिवस 250 से अधिक मरीज जांच कराते हैं। जिनकी 450 के लगभग जांच की जाती है। लैब में सेमी ऑटो एनालाइजर मशीन में सेंपल एक एक कर लगाए जाते हैं। जिसमें समय अधिक लगता है। अस्पताल के मुर्दाघर में डी फि्रज नहीं है। दीवारों को त्रिपाल आदि से ढका हुआ है। सफाई के अभाव में दुर्गंध बनी रहती है। डॉ. अंकित जेटली, चिकित्सा प्रभारी, उप जिला अस्पताल खेरली का कहना है कि सुधार नए भवन मिलने पर संभवभवन क्षतिग्रस्त है। आरएमआरसी से बजट स्वीकृत करवाने का प्रस्ताव भेजा है। मौसमी बीमारियों से ओपीडी का दबाव बढ़ा है। नर्सिंग स्टाफ पूरा है, पर चिकित्सकों की कमी है। अन्य व्यवस्थाओं में सुधार नए भवन मिलने पर संभव होगा।
....................
फरवरी 2024 में अस्पताल परिसर कंडम घोषित
मालाखेड़ा. स्थानीय अस्पताल को सीएचसी का दर्जा मिले चार दशक हो गए। भवन करीब 60 वर्ष पुराना है। 26 फरवरी 2024 कसे अस्पताल परिसर के कई हिस्से कंडम घोषित कर दिए थे। अस्पताल में कुल 28 कमरे हैं। जिनमें अधिकतर खराब है। पार्किंग के अभाव में गेट के बाहर वाहन खडे कर देने से कई बार एम्बुलेंस जाम में फंस जाती है। एक कमरे में दो-दो चिकित्सकों को बैठना पड़ता है। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की लंबी कतार लग जाती है। महिलाओं और बच्चों को परेशानी होती हैं। केवल 6 डॉक्टर कार्यरत है। केंद्र पर लक्ष्मणगढ़, रैणी सहित आसपास के गांवों से मरीज, विशेषकर गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं। डिलीवरी वार्ड में एक बेड पर दो-दो गर्भवती महिलाएं भर्ती होने को मजबूर हैं। प्रतिदिन 500 से अधिक मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। एक्स-रे रूम कंडम होने से एक्स-रे नहीं हो रहे। 6 माह से अकाउंटेंट नहीं है। सोनोग्राफी मशीन नहीं है। यहां 260 डिलीवरी हर महीने होती है। कोरोना के बाद करीब 1 करोड़ की लागत से ऑक्सीजन प्लांट बना, वही लैब का 41 लाख की लागत से नया भवन बना। लैब प्रभारी ने बताया कि रोजाना करीब 500 जांचे होती है। मामले में बीसीएचएचओ डॉ. लोकेश मीणा का कहना है कि शीघ्र ही लेबर रूम वाले हिस्से को तुड़वाकर पुनर्निर्माण किया जाएगा। चिकित्सकों की कमी के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है। कंडम हिस्से में शीघ्र पुनर्निर्माण होगा।
...............
प्रदूषण व मौसमी बीमारियों से 1225 तक पहुंचा आउटडोरराजगढ़. मौसम बदलने, सर्दी एवं दीपावली से प्रदूषण बढ़ने के कारण राजगढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्वास, दमा, खांसी एवं जुकाम से पीड़ित सीएचसी में आ रहे हैं। दिनों करीब 1225 तक आउटडोर पहुंच रहा है। दवा व पर्ची काउंटर पर मरीजों की लाइन लग रही हैं। श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्यप्रकाश मीना का कहना है कि मौसम बदलाव व वायु प्रदूषण से दमा, श्वास, खांसी व जुकाम के 50-60 प्रतिशत मरीज प्रतिदिन उपचार कराने आ रहे हैं। 10-15 प्रतिशत मरीज वायरल बुखार पीड़ित आ रहे हैं।
.......................
कठूमर सीएचसी का बदहाल भवन
कठूमर. कस्बे की सीएचसी को भले ही आदर्श घोषित कर दिया। पचास बेड में क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन भवन 53 साल पुराना है। यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होने से मरीजों व डाक्टरों को खतरा बना रहता है। छतों से चूना झड़ रहा है तो लेंटर टूट रहे है। छत व लेंटर को बल्लियों के सहारे रोके रखा है। एक वार्ड को तो खतरनाक जोन घोषित करते हुए बंद कर दिया। अस्पताल को एक भवन की आवश्यकता है। भवन निर्माण को लेकर कई बार आश्वासन दिए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। डाक्टरों के आवास भी खस्ताहाल है। डाक्टर मजबूरी में रह रहे हैं। कई डाक्टर तो किराए के आवासों में रह रहे हैं।
............
ओपीडी प्रतिदिन 1000
थानागाजी. क्षेत्र में सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया सहित उल्टी, दस्त, बुख़ार के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल की ओपीडी 1000 प्रतिदिन तक पहुंच गई है। वरिष्ठ चिकित्सक बनवारी लाल वर्मा ने बताया कि रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। सीएचसी प्रभारी चिकित्सक ड़ॉ. विकास ठेकला का कहना है कि उपचार में लापरवाही न बरतें। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। बीसीएमएचओ बीएल यादव ने बताया कि मौसम बदलने के कारण लोग वायरल फीवर के शिकार हो रहे हैं। ब्लॉक में डेंगू, मलेरिया के मरीज पाए जाने पर फॉगिंग के साथ सावधानी बरतने सहित सर्वे आदि करवाया जा रहा है। पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध हैं।
Published on:
03 Nov 2025 11:58 pm
बड़ी खबरें
View Allअलवर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
