
नलदेश्वर मंदिर के बाहर लगी भक्तों की कतार।
अलवर. सावन मास के अवसर पर अलवर शहर के शिवालयों के साथ साथ शहर से बाहर स्थित शिवालयों में भी भक्तों का मेला लगा हुआ है। अलवर जिले में अरावली की पर्वतमालाओं के बीच भगवान शिव अलग अलग रूपों में विराजमान हैं। जिसके चलते यहां मास भर भक्तों का मेला लगा रहता है। शिवालयों में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। इन स्थानों को तीर्थ की तरह माना जाता है जहां सावन में शिवभक्त कावड़ भी चढ़ाते हैं। अलवर जिले में नीलकंठ, नलदेश्वर, तालवृक्ष, गर्वाजी और भर्तृहरि धाम में तो हर समय भक्तों का मेला लगा रहता है।
नीलकंठ महादेव में रहती है भक्तों की भीड़ : दूसरा शिव मंदिर नीलकंठ ग्राम राजोरगढ़ तहसील-राजगढ़, सरिस्का अभयारण्य में स्थित है। जो कि 965 से 1030 ई. तक निर्मित है। राजोरगढ़ नीलकंठ महादेव का मंदिर के साथ 24 देवरियां और बावड़ी व तालाब हैं। जिसमें मात्र शिव मंदिर ही अच्छी अवस्था में है जिसमें लगभग 48 मूर्तियां प्राकृतिक और अप्राकृतिक मिथुन मूर्तियां हैं। 2862 मूर्तियों को नीलकंठ महादेव के मंदिर के साथ बने दो विशाल कक्षों में व सामने बरामदे व संग्रहित की गई हैं।
तालवृक्ष में है विशाल आकार का शिलालेख : इतिहासकार हरिशंकर गोयल बताते हैं कि शिलालेख अलवर में भगवान महादेव का सबसे पुराना मंदिर तालवृक्ष में है जिसमें भगवान के रूप को कोई भी व्यक्ति बाहुपाश में नहीं भर सकता। इस मंदिर मेें शिखर तक ओम अंकित है और विविध ईश्वर की स्वरूपों की मूर्तियां हैं। यह मंदिर का ढांचा मुंड़ावर से लाकर तालवृक्ष में लगाया गया है।
Published on:
02 Aug 2023 12:32 am
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