
अलवर. महिला एवं बाल विकास वि भाग की ओर से जिले में संचालित किए जा रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमों की पालना नहीं हो रही हैं। विभाग की ओर से शहर के केंद्रों की मॉनिटरिंग ना होने से केंद्रों पर अव्यवस्थाओं का आलम है। शहर के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र किराए के कमरों की बजाय कोठरी में चल रहे हैं। किसी केंद्र पर कार्यकर्ता नहीं तो किसी पर सहायिका नहीं। ऐसे हालात में केंद्रों पर चलने वाली सरकारी योजनाओं का संचालन भी मुश्किल हो रहा है।
किराया कम तो कमरे की बजाय कोठरी में चल रहे हैं केंद्र
राजस्थान पत्रिका की ओर से शहर के अलग अलग क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया गया तो इस तरह की अनियमितताएं सामने आई। वर्तमान में अलवर शहर में 154 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें से आधे से सरकारी स्कूलों में चल रहे हैं शेष कमरों के बजाय कोठरी में संचालित किए जा रहे हैं। जहां पर जगह इतनी कम हैं कि या तो बच्चे बैठ सकते हैं या फिर विभाग की ओर से दिया जा रहा पोषाहार या अन्य सामान रखा जा सकता है। ऐसे हालात में केंद्र पर आने वाले बच्चे भी यहां आने से दूरी बना रहे हैं।
आए दिन बदलना पड़ रहा है कमरा
गोपाल टाकीज के पास संचालित केंद्र को अब नई जगह पर शिफ्ट किया गया है, यह केंद्र काफी पुराना था, कम किराए पर कमरा नहीं मिलता है, इधर मन्नी का बड स्कूल में संचालित केंद्र पर एक भी बच्चा मौजूद नहीं था, कार्यकर्ता का कहना था कि स्कूल ने जो कमरा दिया था वह जर्जर था, इसलिए केंद्र को अब दूसरी जगह पर संचालित किया जाएगा।
केंद्र 1
गोपाल टाकीज के पीछे कबीर कॉलोनी में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र बहुत ही सकड़ी गली में चल रहा है, जहां पर केंद्र के बाहर कोई बोर्ड ही नहीं लगाया गया है, ऐसे में इस केंद्र को खोजना ही बहुत मुश्किल हो गया। केंद्र के बाहर आवारा पशु बैठे हुए थे। महिला कार्यकर्ता से जब पूछा गया कि बोर्ड क्यों नहीं लगाया तो कहना था कि बारिश से खराब हो जाता है। यहां पर छह बच्चे मौजूद थे।
केंद्र 2.
दिल्ली दरवाजा के समीप आंगनबाड़ी केंद्र हिंदूपाडा एक छोटी सी कोठरी में चल रहा है। जहां पर पीने के पानी व शौचालय जैसी मुलभूत सुविधाएं भी नहीं है। यह कोठरी इतनी छोटी थी कि इसमें सामान रखने की जगह नहीं थी्, कार्यकर्ता ने बताया कि पोषाहार घर से ही बनाकर लाती है। सहायिका मौजूद नहीं थी।
केंद्र -आंगनबाड़ी केंद्र गंगा मंदिर
यह केंद्र भी गली के अंदर बना हुआ हैं,केंद्र के बाहर सेंटर का बोर्ड भी नहीं लगाया गया था। केंद्र पर बच्चे मौजूद थे, कार्यकर्ता ने विभाग की यूनिफार्म नहीं पहनी हुई थी, ऐसे में यह पता नहीं चल पा रहा था कि केंद्र पर विभाग की ओर से लगाई गई कार्यकर्ता या अन्य कोई महिला। यहां कार्यकर्ता मौजूद थी सहायिका नहीं मिली।
---
केंद्रों का भौतिक सत्यापन लोकेशन के आधार पर किया जा रहा है। इसके बाद किराया बढ़ाने की प्रक्रिया होगी जो भवन जर्जर थे उनकी सूची विभाग को भेजी हुई है। कार्यकर्ताओं को ड्रेस कोड में आने के निर्देश हैं। केंद्रों पर जो कमियां है उनको दूर किया जाएगा।
महेश गुप्ता, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग्, अलवर।
Published on:
31 Aug 2025 09:17 pm
बड़ी खबरें
View Allअलवर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
