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नया कानून लागू, फिर भी पुराने सिलेबस से विधि की हो रही पढ़ाई

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एक जुलाई से भले ही नए मामले दर्ज होना शुरू हो गए हों, लेकिन कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अब भी पुराने कानून के अनुसार ही अध्ययन कराया जा रहा है। ऐसे में विद्यार्थी असमंजस में हैं कि आखिर पढ़ाई पूरी होने के बाद वो नए कानूनों का अध्ययन कैसे कर पाएंगे ? अभी विद्यार्थियों को पुराने पाठयक्रम के अनुसार विधि स्नातक में आईपीसी कानूनों की जानकारी द्वितीय एवं सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जानकारी तृतीय वर्ष के पाठयक्रम में दी जारही है।

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पुलिस थानों में भी नए कानून के अनुसार दर्ज हो रही है एफआईआर
अलवर. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एक जुलाई से भले ही नए मामले दर्ज होना शुरू हो गए हों, लेकिन कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अब भी पुराने कानून के अनुसार ही अध्ययन कराया जा रहा है। ऐसे में विद्यार्थी असमंजस में हैं कि आखिर पढ़ाई पूरी होने के बाद वो नए कानूनों का अध्ययन कैसे कर पाएंगे ? अभी विद्यार्थियों को पुराने पाठयक्रम के अनुसार विधि स्नातक में आईपीसी कानूनों की जानकारी द्वितीय एवं सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जानकारी तृतीय वर्ष के पाठयक्रम में दी जारही है।
ये हुए कानून में बदलाव
प्रदेश में 1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 तथा भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लागू की गई है। इनमें पूर्व में लागू अधिनियम को विलोपित नहीं कर नए अधिनियम को पुनस्थापित किया गया है।
विशेषज्ञ बोले… जल्द पाठ्यक्रम में मिलेगा नए कानून का ज्ञान
इस बारे में विधि महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. प्रियंका सामंत ने बताया कि अभी पुराने पाठयक्रम की परीक्षाएं चल रही हैं। आने वाले सत्र में पाठयक्रम में नवीन कानून की विधियों को जोडा जाएगा, जिसमें पुराने और नए कानूनों की साझा जानकारी छात्रों को मिल सकेगी। फिलहाल महाविद्यालयों में सेमिनार के माध्यम से छात्रों को नए कानूनों का ज्ञान कराया जा रहा है। पुस्तकालयों में नए कानून से जुड़े पाठ्यक्रम है, जिनका अध्ययन कर छात्र जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। पुराने मुकदमों में कानूनी की पुरानी धाराओं के अनुसार ही जजमेंट होगा, वहीं जुलाई के बाद के मामलों में नई कानून की धाराओं का पालन करना होगा।
इनका कहना है
फिलहाल छात्र-छात्राएं पुराने सिलेबस से पढाई कर रहे हैं, जो उनके लिए आवश्यक है। क्योंकि पुराने मामलों में पुराने कानून की धाराएं काम आएगी। वैसे जल्द पाठयक्रम में बदलाव होगा, जिसमें नए कानून को जोडा जाएगा और विद्यार्थियों को नए कानून को जानने का अवसर मिलेगा।

  • आवेश ङ्क्षसह, उपनिदेशक अभियोजन विभाग, अलवर