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अलवर में डीजे से भी तेज बज रहे हैं हॉर्न, प्रदूषण बोर्ड फिर भी नींद में

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अलवर

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Prem Pathak

Aug 11, 2018

Noise Pollution In Alwar

अलवर में डीजे से भी तेज बज रहे हैं हॉर्न, प्रदूषण बोर्ड फिर भी नींद में

अलवर. अलवर में डीजे से अधिक तेज आवाज में वाहन के हॉर्न बजने लगे हैं। इन हॉर्न से लोगों की बैचेनी बढ़ रही है और कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अलवर नगरीय क्षेत्र में 40 से 50 डेसीबेल की आवाज की सीमा निर्धारित है, इसके बावजूद यहां वाहनों में हॉर्न 120 से 130 डेसीबेल तक बजाया जाता है। शहर के मध्य अस्पताल का क्षेत्र हो या छोटे बच्चों का स्कूल यहां भी किसी को तेज हॉर्न बजाने से डर नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अलवर में ध्वनि प्रदूषण मापने के कोई नियमित व्यवस्था नहीं की है और न ही यातायात पुलिस ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है।

ध्वनि मापदंडों के अनुसार आवाज की सीमा ग्रामीण क्षेत्र में 25 से 35, अलवर जैसे नगरीय आवासीय में 45 से 55 डेसीबल व नगरीय सामान्य में 50 से 55 व औद्योगिक क्षेत्र में अधिकतम ध्वनि 50 से 60 डेसीबेल होनी चाहिए। इससे अधिक मानव के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से नुकसानदायक है। अलवर जिला मुख्यालय अधिकतम ध्वनि के इन मापदंडों को पार कर गया है। अलवर शहर में ध्वनि का यह डेसीबल 100 को पार कर जाता है। वाहन का तेज आवाज वाला प्रेशर हॉर्न एक बार में 100 से अधिक डेसीबेल आवाज करता है। चिकित्सकों का कहना है कि ध्वनि की तीव्रता जब 90 डीबी से अधिक हो जाती है तो सुनने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि ऐसा शोर अधिक समय तक रहता है तो कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं।

लोग हो रहे परेशान

इस मामले में लोगों का कहना है कि इस ध्वनि प्रदूषण से हमारा जीना मुश्किल हो गया है। बाहर सडक़ों पर इतना ध्वनि प्रदूषण है कि सडक़ पर दुर्घटना से अधिक ध्वनि प्रदूषण की चिंता अधिक रहती है। इस मामले में चिकित्सकों का कहना है कि अलवर में ध्वनि प्रदूषण रोकने के कभी प्रयास नहीं किए गए हैं।

शांत क्षेत्र तक घोषित नहीं, खूब बजा रहे हॉर्न

अलवर शहर में बिजली घर चौराहे के समीप तीन बड़े अस्पताल हैं। यहां तो शिशु चिकित्सालय के सामने स्थित मैरिज होम में शादी ब्याह में खूब बैंड बाजे और डीजे बजता है। इस क्षेत्र में वाहनों के हॉर्न बजाने पर कोई रोक नहीं है। इस क्षेत्र में हॉर्न बजने से मरीजों, गर्भवती महिलाओं ओर नवजात शिशुओं पर क्या प्रभाव पड़ता है जिसकी परवाह किसी को नही है। प्रेशर हॉर्न के बजने पर रोक के लिए यातायात पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

गलियों में गूंजते हैं हॉर्न, डर जाते हैं लोग

अलवर शहर की छोटी गलियों में जहां ध्वनि 25 से 30 डेसीबल तक रहता है। इन गलियों में भी लोग कई बार तेज आवाज वाले प्रेशर हॉर्न बजाकर युवक निकलते हैं जिससे घर के अंदर बैठे बच्चे व महिलाएं डर तक जाती हैं। शिशु चिकित्सालय में भी यह हॉर्न आसानी से सुनाई देते हैं। कई बार तो दुपहिया वाहन पर चलते हुए लोग पीछे से चौपहिया वाहनों के हॉर्न की तेज आवाज से चौंक जाते हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को परवाह नही

अलवर शहर में ध्वनि प्रदूषण इतना अधिक है जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसकी परवाह नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ध्वनि प्रदूषण का मापने के उपकरण तक नहीं लगा रखे हैं। बोर्ड मात्र दीपावली पर ही ध्वनि का प्रदूषण का मापता है। बोर्ड ने यह ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासन व यातायात पुलिस को कोई परामर्श तक नहीं दिया है।

ध्वनि का स्तर डेसीबेल में
श्वसन- 10
सामान्य वार्तालाप- 30 से 40
तेज वर्षा- 35 से 42
स्वचालित मशीनें- 85 से 90
रेलगाड़ी की सीटी-110
तेज स्टीरियो- 105 से 115
ध्वनि विस्तारक- 120 से 130
प्रेशर हॉर्न- 140 से 150
सायरन- 145 से 155