
फोटो - सरिस्का टाइगर रिजर्व
सरिस्का टाइगर रिजर्व का एनवायरमेंट देशभर के टाइगर रिजर्व से अलग है। यही कारण है कि यहां वन्यजीवों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। यहां सांभर 17 हजार से ज्यादा हैं। वहीं चीतल की संख्या भी 4 हजार से अधिक है। लेपर्ड की संख्या 260 है। अन्य वन्यजीव भी इसी तरह बढ़ रहे हैं।
प्रदेश में बघेरे 925 हैं। सियार की संख्या 21 हजार, भालू 531, लोमड़ी 7500, जंगली बिल्ली 5600, जरख 2600, भेड़िया 700 व नीलगाय 80 हजार के आसपास हैं। इस नई गणना में संख्या और बढ़ेगी।
टाइगर रिजर्व को छोड़कर बाकी सेंचुरी में वन्यजीवों की गणना 12 मई से शुरू होनी थी, लेकिन बारिश की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया है। अब यह गणना 11 व 12 जून को कराई जाएगी।
सरिस्का के भ्रमण को कुछ समय पहले आई सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी व भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों ने माना था कि बारिश में यहां सर्वाधिक नमी रहती है। पराग कणों का प्रभाव ज्यादा होता है। वन्यजीव विचलित नहीं होते और वह प्रजनन करते हैं। इस मौसम में सांभर, चीतल की संख्या में अपेक्षाकृत वृद्धि भी हुई है। सियार से लेकर जरख, लोमड़ी, भेड़िया, बिज्जू, नीलगाय, लंगूर काफी संख्या में हैं।
इस कमेटी ने माना था कि मानव गतिविधियों से वन्यजीव विचलित होते हैं। इस देखते हुए निर्णय लेने के सुझाव दिए थे। वर्ष 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था, लेकिन संख्या अब 45 पहुंच गई है। हाल ही में तीन शावकों का जन्म भी हुआ है। शावकों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है। इनमें 6 शावकों का नामकरण करीब 9 माह में कर दिया जाएगा। क्योंकि उनकी आयु डेढ़ साल से अधिक हो जाएगी। मां से अलग होने के बाद इनका नामकरण किया जाता है।
सरिस्का का एनवायरमेंट अन्य टाइगर रिजर्व से बेहतर है। यही कारण है कि यहां वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है। -संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का
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Published on:
19 May 2025 12:04 pm
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