भगवान जगन्नाथ रूपबास पहुंच गए हैं। अब वैवाहिक रस्में प्रारंभ हो गई हैं। रविवार को वरमाला होगी। इसके बाद 7 जुलाई को रूपबास में भर मेला रहेगा। इस दिन का सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है। देवशयन एकादशी पर सुबह मां जानकी की सवारी पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर से सुबह 8 बजे रूपबास के लिए रवाना होगी। इसके बाद विवाह की सभी रस्में शुरू होंगी।
भगवान के चतुर्भुज रूप के दर्शन भी इसी दिन होंगे। भगवान को परंपरागत रूप से कंपनी बाग से लाई गई आंकडे की 15 फीट माला पहनाई जाएगी। इसके अलावा छत्तीसगढ़, वृंदावन से आई मोगरा और तुलसी की माला भी पहनाई जाएगी। कमल के पुष्प व पचरंगी फूलों की वरमाला पहनाई जाएगी।
जगन्नाथ भगवान के रूपबास पहुंचने के साथ ही यहां पर मेला प्रारंभ हो गया है। मंदिर के महंत पं. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर वर्ष में एक बार ही भगवान जगन्नाथ चतुर्भुज रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इसी रूप में उनका जानकी मैया से विवाह होता है। एकादशी पर चरणों के दर्शन का विशेष महत्व माना गया है। रथयात्रा की व्यवस्था मोहन शर्मा, महेंद्र चौहान की टीम के सदस्य मोहन शर्मा, महेन्द्र चौहान, राजू सोनी, नरेन्द्र शर्मा, दुर्गा, उत्तम गुप्ता, दीपक सोनी, आनंद सोनी कर रहे हैं।
जानकी मैया को बैंडबाजे व लवाजमे के साथ रूपबास तक ले जाया जाएगा। उनके साथ 1100 महिलाओं की कलश यात्रा मुय आकर्षण रहेगी। रथयात्रा में शहनाई वादन, नफरी वादन, पंजाब का पाइप बैंड, झांकियां, प्याऊ, बैंड़ व घोड़े आकर्षण रहेंगे। करीब एक दर्जन स्थानों पर रथयात्रा का स्वागत किया जाएगा।
भगवान जगन्नाथ के रूपबास पहुंचने के बाद से ही पुराना कटला जगन्नाथ मंदिर में विराजमान बूढ़े जगन्नाथजी के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही हैं। बुजुर्ग भक्तों की संया अधिक है जो अपने पोते-पोतियों को दर्शनों के लिए ला रहे हैं। मंदिर में भक्ति संध्या में भी भक्त भजनों की प्रस्तुति दे रहे हैं।
भगवान जगन्नाथ के रूपबास में रूपहरि मंदिर पहुंचने के साथ ही ग्रामीणों ने खूब आवभगत की। भगवान को नए-नए पकवानों का भोग लगाया गया। गौरतलब है कि रूपबास के लोग जानकी मैया को बेटी मानते हैं, इसलिए जगन्नाथ भगवान को कुंवर साहब मानते हुए खूब खातिरदारी की जाती हैं। महिलाएं अपने घरों से नए-नए पकवान बनाकर लातीं हैं।
Published on:
06 Jul 2025 11:42 am