Alwar News: राजस्थान के अलवर जिले में सिलीसेढ़ झील को बचाने की जंग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। झील बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार को 500 से ज्यादा ट्रैक्टरों के काफिले और हजारों किसानों के साथ अलवर कूच की घोषणा ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। सवाल अब यही है – क्या सरकार झुकेगी या टकराव और गहराएगा?
सिलीसेढ़ झील क्षेत्र में बोरिंग कर शहर को पानी पहुंचाने की योजना का ग्रामीणों ने शुरू से ही विरोध किया। 21 दिनों से जारी धरने के बाद अब यह आंदोलन सिर्फ झील नहीं, जीवन बचाने की लड़ाई बन गया है। झील से पानी खींचने को ग्रामीण खेती, पशुपालन और जल जीवन संतुलन पर सीधा हमला मान रहे हैं।
गुरुवार को जब काफिला अलवर की ओर रवाना हुआ, तो उसमें महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की बराबर भागीदारी देखने को मिली। ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ निकलते ट्रैक्टर काफिले ने माहौल को संघर्ष और संकल्प में बदल दिया। किसानों ने साफ कहा है कि “पानी की लूट किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
प्रशासन भी इस बार पूरी तरह सतर्क नजर आ रहा है। शहर की सीमाओं पर कड़ी बैरिकेडिंग, भारी पुलिस बल की तैनाती और ट्रैफिक डायवर्जन जैसे कदम उठाए गए हैं। अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को शहर में ट्रैक्टरों के साथ प्रवेश न करने की सख्त चेतावनी दी है।
संघर्ष समिति के अनुसार, सिलीसेढ़ झील पारंपरिक रूप से आसपास के 40 गांवों की जीवनरेखा रही है। यदि यहां से बोरिंग कर पानी खींचा गया, तो वर्षों पुरानी पारिस्थितिकीय व्यवस्था चरमरा जाएगी। अब सवाल यही है कि क्या सरकार इस चेतावनी भरे कूच को गंभीरता से लेगी या फिर किसानों को और कठोर रुख अपनाना पड़ेगा?
Published on:
19 Jun 2025 12:02 pm