
मुंडावर, अलवर।
सीआरपीएफ में कार्यरत मुण्डावर क्षेत्र के गांव सुन्दरवाडी निवासी लक्ष्मण सिंह सुकमा के छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हो गए। ये सूचना जैसे ही अलवर में रहने वाले उनके परिजनों को लगी, घर में कोहराम मच गया।
शहीद की पत्नी शीला का तो रो-रोकर बुरा हाल था। उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पड़ोसी महिलाएं उसे खूब संभालने का प्रयास कर रही थी, लेकिन वह बार-बार रोते-रोते बेहोश हो जाती। बाद में परिजन पड़ोस स्थित एक चिकित्सक को बुलाकर लाए। शहीद के परिजनों का भी सूचना मिलने के बाद हाल-बेहाल था।
लक्ष्मण का बड़ा भाई जयसिंह जो जीआरपी बांदीकुई में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था, समाचार सुनते ही दौड़ा-दौड़ा मोती नगर स्थित अपने भाई के घर पहुंचा। उसका भी रो-रोकर बुरा हाल था।
लक्ष्मण के शहीद होने की सूचना पर मोती नगर स्थित कॉलोनी में भी सन्नाटा पसर गया। लोगों के कदम खुद व खुद शहीद के घर की आेर निकल लिए। हर कोई शहीद की पत्नी व बच्चों को ढांढस बंधाने में लगा था।
रविवार को ही वापस गया था ड्यूटी पर
शहीद के भाई जयसिंह ने बताया कि लक्ष्मण रविवार के ही वापस ड्यूटी पर गया था और मंगलवार को यह सूचना आ गई। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण बीस दिन की छुट्टी लेकर हाल ही घर आया था। उसे साल भर पहले कई नक्सलियों को ढेर करने पर गैलेन्ट्री प्रमोशन मिला था। उसके घर आने पर परिजनों ने उसके प्रमोशन पर खुशी भी जताई थी। गौरतलब है कि लक्ष्मण सीआरपीएफ में हैडकांस्टेबल के पद पर कार्यरत था।
चार साल पहले ही अलवर में बनाया था मकान
लक्ष्मण ने करीब चार साल पहले ही अलवर के मोतीनगर में मकान बनाया था। मकान में उसकी पत्नी व बेटा कुणाल एवं बेटी पायल रहते थे। परिजनों के अनुसार उसके बेटा-बेटी एनईबी स्थित सेन्टोस पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। बेटी पायल कक्षा पांच तथा बेटा कुणाल यूकेजी का छात्र है।
छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली सूचना लक्ष्मण के शहीद होने की परिजनों को सूचना छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली। भाई जयसिंह ने बताया कि कंट्रोल रूम से फोन लक्ष्मण की पत्नी के मोबाइल पर आया। उसने गांव का नम्बर दे दिया। इस पर कंट्रोल रूम से गांव में परिजनों को फोन आया। इस पर जयसिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण अलवर आए और शहीद की पत्नी व बच्चां को ढाढ़स बंधाया।
Updated on:
14 Mar 2018 08:20 am
Published on:
14 Mar 2018 08:06 am
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