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RSS 96 साल का, अगले चार साल में नए संकल्प, आप भी जानिए क्या है संघ की योजना

RSS: देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन ( Rashtriya Swayamsevak Sangh ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब 100 साल का होने जा रहा है। शुक्रवार को संघ 96 साल पूरे कर 97 वें साल में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही अब अगले चार साल संघ के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होंगे। 1925 में विजयदशमी के दिन नागपुर में ही डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की शुरुआत की थी।

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अलवर

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Hiren Joshi

Oct 15, 2021

RSS: Rashtriya Swayamsevak Sangh History And Future Planning

RSS आज 96 साल का, अगले चार साल में नए संकल्प, आप भी जानिए क्या है संघ की योजना

हीरेन जोशी
नागपुर।
हाइप्रोफाइल आयोजनों के इस दौर में सहजता और सादगी। वह भी हर समय सुर्खियों में छाए रहने वाले संगठन के स्थापना दिवस पर। कोई भी आम नागरिक पहली नजर में ठिठक ही जाएगा। रेशीम बाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस समारोह होता है उस परिसर में अतिसामान्य तैयारियां। पूर्व संध्या पर परिसर में 10-15 लोग सामान्य तरीके से काम कर रहे थे। साहित्य बिक्री केंद्र से लेकर परिसर के स्वागत कक्ष तक सबकुछ बिना किसी शोरगुल के।

मैं वहां पहुंचा तो बस स्वागत कक्ष में इतना कहा कि परिसर भ्रमण करना है। कई साल तक प्रचारक रहे बाबूभाई आए और खुद एक-एक जगह पर ले गए। वहां स्मृति मंदिर के बगल के छोटे मैदान में सामान्य सा मंच तैयार किया जा रहा था। यहीं शुक्रवार सुबह सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत का बहुप्रतिक्षित वार्षिक उद्बोधन होगा। कोराना प्रोटोकाल के चलते समारोह में 200 लोग शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि महानगर में 40 स्थानों पर स्वयंसेवक इसका लाइव प्रसारण देखेंगे और हर जगह आयोजन होंगे।

स्मृति मंदिर के बाद महल स्थित संघ मुख्यालय भ्रमण किया। वहां अपेक्षाकृत सुरक्षा जांच कड़ी थी। पर अंदर बेहद सामान्य गतिविधियां। कार्यालय में बताया कि बाहर से आए हैं तो स्वयंसेवक चेतन धर्माधिकारी ने विस्तार से संघ के बारे में जानकारी दी। परिसर में एक छोटा सा मैदान जहां 1925 में पहली शाखा लगी थी वहां भी कोई तामझाम नहीं। शाम 6:15 बजे नियमित सायं शाखा के लिए बच्चे आए और देश की अन्य शाखाओं की तरह खेलने लगे।

अब नए संकल्प

देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब 100 साल का होने जा रहा है। शुक्रवार को संघ 96 साल पूरे कर 97 वें साल में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही अब अगले चार साल संघ के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होंगे। 1925 में विजयदशमी के दिन नागपुर में ही डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की शुरुआत की थी।

चार साल में नए संकल्प

संघ से जुड़े लोगों से बात की तो सामने आया कि अब आगामी चार साल में सर्वाधिक जोर विस्तार पर होगा। इसमें मुख्य रूप से गतिविधियों संख्या शक्ति, परिवार और पर्यावरण पर जोर दिया जाएगा। हालांकि संघ ने इसकी कोई औपचारिक घोषणा और योजना जारी नहीं की है पर संगठन विस्तार और गतिविधियों पर शताब्दी वर्ष के हिसाब से ध्यान दिया जा रहा है।

चार साल में दोगुने स्वयंसेवक और प्रचारक

संघ आगामी चार साल में स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाने पर जोर देगा। फिलहाल सूचिबद्ध स्वयंसेवक करीब 60 लाख हैं। हालांकि अनौपचारिक संख्या पहले ही इससे कई गुना ज्यादा है। अब इतने ही नए सूचिबद्ध स्वयंसेवक जोडऩे का लक्ष्य हैै। फिलहाल 50 हजार स्थानों पर शाखा लग रही है। इसे बढ़ाकर 70 हजार तक किया जाएगा। संघ कार्य की महत्वपूर्ण कड़ी प्रचारक हैं। अभी करीब 3500 प्रचारक हैं। आगामी चार साल में यह संख्या भी दोगुने से अधिक करने का लक्ष्य है। करीब हर ब्लॉक स्तर पर पूर्णकालिक कार्यकर्ता या प्रचारक भेजने की तैयारी है।

36 विविध संगठन, गतिविधियां

अगले चार साल में सबसे अधिक जोर गतिविधियों पर रहेगा। संघ विचार के हिसाब से कार्य करने वाले विविध संगठन कार्य कर रहे हैं। इनमें सक्षम, संस्कृत भारती, सेवा भारती, विद्या भारती, क्रिड़ा भारती, आरोग्य भारती और नि:संदेह भारतीय जनता पार्टी में विविध सहित 36 विविध संगठन हैं। करीब 500 से अधिक संस्थाएं हैं जिनके माध्यम से संघ देशभर में करीब 1.5 लाख से अधिक सेवा कार्य चल रहे हैं।

तीन प्रतिबंध झेल चुका है संघ

1925 में स्थापना से लेकर अब तक संघ पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है। सबसे पहले महात्मा गांधी की हत्या के समय संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। 14 माह के प्रतिबंध के बाद स्पष्ट हुआ कि जिन कारणों से प्रतिबंध लगाया था उनसे संघ का कोई लेना देना नहीं था। इसके बाद आपातकाल के समय संघ पर सबसे अधिक समय का प्रतिबंध लगा। 19 माह के उस प्रतिबध में बड़ी संख्या में संघ प्रचारक और स्वयंसेक जेल में रहे। जनता सरकार बनते ही यह प्रतिबंध हट गया। इसके बाद बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद संघ पर 6 माह प्रतिबंध लगाया गया। संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक ने बताया कि अनुकूल परिस्थितियों में संघ में संख्यात्मक वृद्धि होती है जबकि विपरीत परिस्थितियों में गुणात्मक वृद्धि होती है।

कोराना काल में ई-शाखा और सीधी सेवा

प्रतिबंधों के अलावा दैनिक शाखा में सबसे बड़ी रुकावट कोराना काल में आई। संघ ने इस अवधि में सर्वाधिक जोर सेवा कार्य पर दिया। बीमारो के बीच जाकर स्वयंसेवकों नेे सेवा की। इसके साथ ही तंत्र को मजबूत करने के लिए ई-बैठक, ई-शाखा, ई-प्रशिक्षण वर्ग लगाए गए। इस दौरान बड़ी संख्या पारिवारिक शाखाओं पर जोर दिया गया।

युवा जुड़ाव, वैश्विक पहुंच,

ऑनलाइन और डिजिटल के जमाने में संघ से युवाओं का जुड़ाव भी बढ़ा है। इनको ध्यान में रखकर भी कई बदलाव हुए हैं। गणवेश बदलाव भी एक बड़ा बदलाव माना गया है। वहीं वैश्विक स्तर पर भारत के अलावा दुनिया में करीब 50 देशों में संघ का कार्य चल रहा है। विदेशों में अधिकांशत: हिंदू सेवक संघ कार्य कर रहा है। विदेशों में भी गतिविधि बढ़ाने पर कार्य हो रहा है।

- जहां-जहां आवश्यक्ता होती है वहां-वहां संघ विस्तार जरूर करेगा। संघ की जितनी भी शक्ति है वह सम्पूर्ण समाज को जोडऩे में लगाई जाती है। संघ का काम सम्पूर्ण समाज को संगठित करना है। समाज में संगठन नहीं बल्कि समाज को संगठित करना है। जीवन के हर क्षेत्र में सेवा के लिए तैयार हैं। जहां-जहां जरूरत होगी वहां स्वयंसेवक पहुंचेंगे।
- सुनील आंबेकर, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ