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शिव भक्ति का पवित्र सावन मास 11 जुलाई से, चार सोमवार उमड़ेगा भक्ति का ज्वार

Sawan month Start 11 July शिव भक्ति का पवित्र महीना सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा। पूरे महीने में चार सोमवार पर भक्ति का ज्वार उमड़ेगा।

फोटो - भगवान शिव (पत्रिका)

Sawan month Start 11 July शिव भक्ति का पवित्र महीना सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा। पूरे महीने में चार सोमवार पर भक्ति का ज्वार उमड़ेगा। इस दौरान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलेगा। इस दौरान कांवड़ यात्राओं की धूम रहेगी। सावन का शुभारंभ 11 जुलाई को शुक्रवार से होगा।

पहला सोमवार 14 जुलाई को, दूसरा 21, तीसरा 28 जुलाई और चौथा सोमवार 4 अगस्त को रहेगा। सावन के सोमवार को शिवजी की विशेष पूजा की जाएगी। सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, रुद्राभिषेक करना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और सोमवार का व्रत रखना बहुत ही शुभ फलदायी होता है।

कांवड़ यात्रा होगी प्रारंभ

सावन मास प्रारंभ होने के साथ ही 11 जुलाई से ही कावड़ यात्रा भी प्रारंभ होगी। इस दौरान कांवड़िए में तीर्थों से कांवड़ में जल भरकर भगवान भोलेनाथ के जयकारे लगाते हुए मंदिरों में पहुंचेंगे और भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। कांवड़ियों के लिए शहर में जगह-जगह खाने व ठहरने की व्यवस्था की जाएगी।

प्रकृति और पवित्रता का संगम

सावन माह का संबंध वर्षा ऋतु से भी है, जब प्रकृति अपना श्रृंगार करती है। यह समय धरती की हरियाली का होता है। खेतों में नई फसल का बीजारोपण होता है, पेड़-पौधे लहलहाते हैं और वातावरण शुद्ध होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह समय उपवास, हल्के भोजन और संयम का है क्योंकि बारिश में पाचन तंत्र धीमा होता है।

शिव की भक्ति में सावन का सार

‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप इस माह विशेष रूप से किया जाता है। यह पंचाक्षरी मंत्र शिव भक्ति की आत्मा है। हर शिव मंदिर में भजनों, आरतियों और रुद्राभिषेक की विशेष व्यवस्था होती है। राजस्थान के कई मंदिरों में विशेष शिव पुराण कथा, कन्या भोज और यज्ञ अनुष्ठान भी आयोजित होते हैं।

एकलिंग महादेव मंदिर के महंत पुष्कर द्विवेदी ने बताया कि भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय है। मान्यता है कि इस महीने में माता पार्वती ने घोर तप कर शिव को पति रूप में प्राप्त किया। इसलिए श्रद्धालु इस माह में शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र, धतूरा आदि अर्पित करते हैं। इस मास में शिवभक्त व्रत रखते हैं। कुंवारी कन्याएं योग्य वर की कामना से व्रत करती हैं तो विवाहित महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के लिए शिवाभिषेक करती हैं।