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मालाखेड़ा में रिजेक्ट फर्म को 48 घंटे बाद थानागाजी में दे दिया टेंडर

केंद्र व प्रदेश सरकार जल संरक्षण को प्राथमिकता पर रखकर बजट जारी कर रही हैं, लेकिन इस बजट को ठिकाने लगाने के लिए जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग (वाटरशेड डिपार्टमेंट) के अधिकारी टेंडरों में खेल कर रहे हैं।

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एनीकट (फोटो - पत्रिका)

केंद्र व प्रदेश सरकार जल संरक्षण को प्राथमिकता पर रखकर बजट जारी कर रही हैं, लेकिन इस बजट को ठिकाने लगाने के लिए जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग (वाटरशेड डिपार्टमेंट) के अधिकारी टेंडरों में खेल कर रहे हैं।

विभाग के अफसरों ने मालाखेड़ा में जिस फर्म को जल संरक्षण के काम के लिए अयोग्य घोषित किया, उसी फर्म को महज 48 घंटे बाद उन्हीं अफसरों ने थानागाजी में पात्र घोषित कर दिया। एक फर्म को मालाखेड़ा में फिट करने के लिए दूसरी को रिजेक्ट किया गया और फिर रिजेक्ट किए गए प्रस्ताव वाली फर्म को थानागाजी में फिट कर दिया गया। यह मामला सरकार तक पहुंच गया है। जांच शुरू हो गई है।

ये अधिकारी शामिल थे टेंडर कमेटी में

टेंडर कमेटी में अधीक्षण अभियंता नरेंद्र सिंह मोथु, एक्सईएन प्रहलाद मीणा, एईएन अनिल कुमार गुर्जर व सहायक लेखाधिकारी दिगंबर जाट शामिल थे। यह मामला सार्वजनिक हुआ तो लोगों ने सरकार से शिकायत कर दी। साथ ही जिला प्रभारी मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को भी शिकायत भेजी गई है, जिस पर जांच शुरू हो गई है। शिकायकर्ताओं ने कहा है कि विभाग की ओर से करोड़ों के कार्य ग्रामीण इलाकों में कराने के टेंडर किए जा रहे हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। ऐसे में राज्य स्तरीय टीम बनाकर जांच के बाद कार्रवाई की जाए।

इस तरह किया गया खेल

विभाग ने जल संरक्षण व विभागीय कार्यों के लिए मई में टेंडर आमंत्रित किए थे। टेंडर पैकेज में निविदा संख्या 5 में 84.25 लाख रुपए के पैकेज में एक फर्म को दस्तावेजों में कमी होने के कारण संबंधित निविदा कमेटी ने अपनी सिफारिश में नॉन रेस्पॉन्सिव बता कर टेंडर नहीं दिया। यह टेंडर मालाखेड़ा क्षेत्र के कामों के लिए जारी किया गया था। इसके 48 घंटे बाद ही इसी कमेटी ने निविदा पैकेज की निविदा संख्या 3 में थानागाजी के लिए 89.92 लाख रुपए के टेंडर में मालाखेड़ा में अयोग्य हुई फर्म को काम दे दिया, जबकि पैकेज के लिए टेंडर में दस्तावेज समान ही लगाए गए थे।

10 माह पहले ही टेंडर गड़बड़ी में हटाए गए थे दो अफसर

पिछले साल जिले के प्रभारी मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार से शिकायत की थी कि यहां किए जा रहे टेंडरों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई है। इस पर सरकार ने पूर्व अधीक्षण अभियंता प्रभाती लाल मीणा और सहायक लेखा अधिकारी भारत शर्मा को जांच विचाराधीन रखते हुए एपीओ कर दिया था। मंत्री ने निदेशक को लिखा था कि अधीक्षण अभियंता ने निविदाओं की शर्तों में व्यापक परिवर्तन किया है, जिससे संबंधित अधिकारियों की चहेती फर्म निविदा प्रक्रिया में एकल फर्म बनी रहें और उसे कार्य मिल जाए।

मालाखेड़ा व थानागाजी में काम की कैटेगरी अलग-अलग हैं। दस्तावेज भी उसी आधार पर जमा होते हैं। नियमों के तहत ही टेंडर हुए हैं। - नरेंद्र सिंह मोथु, अधीक्षण अभियंता, वाटरशेड विभाग