जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर जैसे प्रदेश के कई शहर वेडिंग डेस्टिनेशन का हब बन चुके हैं। लोग इन शहरों के पुराने किलों तथा अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर शादी-समारोह का आयोजन कर रहे हैं। यहां राजसी तरीके से वीआईपी शादियां होती हैं। ऐसी शादी में बैंड-बाजा-बाराती तो होते ही हैं, शादी को खास बनाने के लिए फिल्मी व गायक कलाकारों को भी बुलाया जाता है।
इसके साथ ही एंकर भी होते हैं जो शादी के हर कार्यक्रम को रोचकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग में बाहर से आने वाले लोगों के लिए राजस्थानी लोक संगीत का इंतजाम किया जाता है। इससे स्थानीय कलाकारों को काम भी मिलता है।
वेडिंग सीजन में इनकी एडवांस बुकिंग होती हैं। अलवर में भी एक से बढ़कर एक किले और तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनको वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहचान मिल सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। क्योंकि इन किलों व इमारतों का उतना प्रचार-प्रसार नहीं हो रहा, जितना होना चाहिए।
ऐसे में शादियों के सीजन में यहां कभी-कभार ही बुकिंग होती है। यहां डढ़ीकर फोर्ट, नीमराणा फोर्ट, केसरोली, तिजारा फोर्ट जैसे बहुत से फोर्ट है, जिनका यदि प्रचार-प्रचार किया जाए तो वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में अच्छी पहचान मिल सकती है। इससे अलवर में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
यदि अलवर के फोर्ट का प्रचार-प्रसार ज्यादा से ज्यादा किया जाए, तो यहां बुकिंग ज्यादा मिलेगी। इससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ होटल इंडस्ट्री को भी आय होगी। बहुत से लोग चाहते हैं कि उनकी शादी राजशाही ठाठ से हो।
इसके लिए राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और जैसलमेर के किले और महल पसंद किए जाते हैं लेकिन वहां का बजट दो दिन में चार से पांच करोड़ का होता है, जबकि अलवर में इससे आधे बजट में शाही तरीके से शादी हो जाती है। यदि अलवर के फोर्ट का प्रचार-प्रसार हो तो यहां पर वेडिंग की संख्या बढ़ जाएगी। यहां पर डेकोरेशन, लाइट, इवेंट सभी की व्यवस्था एक ही जगह पर हो जाती है।
Updated on:
13 Jun 2025 11:16 am
Published on:
13 Jun 2025 11:15 am