
Fatal effects of firecrackers
अलवर.
प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली को राहत पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश अलवर पर भी असर डालेगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में महत्वपूर्ण जिले के रूप में शामिल अलवर में इसके चलते दिवाली बिना पटाखों के ही मनेगी। कोर्ट के आदेश की पालना में एक नवम्बर तक आतिशबाजी की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने के आदेश दिया है।
न्यायालय के आदेश में आतिशबाजी चलाने पर रोक नहीं लगाई गई है। इससे दीपावली पर जिले में करीब १५ करोड़ रुपए का आतिशबाजी कारोबार प्रभावित होने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिवाली से करीब १० दिन पूर्व दिए आदेश से आतिशबाजी मार्केट में ऊहापोह की स्थिति बन गई है। इसका कारण है कि दीपावली को देखते हुए जिले में आतिशबाजी के होलसेल डीलर्स ने करोड़ों रुपए के आतिशबाजी सामान का स्टॉक किया है। वहीं आमजन भी इस चर्चा में लग गया है।
दुकानों के लिए आए 500० से अधिक आवेदन
जिला प्रशासन की तरफ से इस साल अलवर शहर में ३९ दुकानें, राजगढ़ में १३ व १ दुकान गोविंदगढ़ में खोलने के लिए आवेदन मांगे थे। इसमें अब तक ५०० से अधिक आवेदन जमा हो चुके हैं। आगामी १३ अक्टूबर को आतिशबाजी लाइसेंस की लॉटरी निकाली जानी थी, लेकिन न्यायालय के आदेश के बाद इस प्रक्रिया पर रोक की उम्मीद है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से शहर में चार से पांच स्थानों पर वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण की जांच होती है। इस बार न्यायालय के आदेश के बाद विशेष निगरानी रखी जाएगी।
चलाने पर नहीं है रोक
यह रोक सिर्फ पटाखे बेचने पर लगी है जबकि इस्तेमाल पर रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि कोर्ट 12 सितंबर के अपने उस आदेश को वापस ले जिसमें कोर्ट ने शर्तों के साथ एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटाई थी।
एक नवम्बर के बाद मिल सकती है अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दिवाली के बाद इस बात की भी जांच की जाएगी कि पटाखों पर रोक के बाद पर्यावरण की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि एक नवंबर के बाद पटाखों की बिक्री फिर से शुरू की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखा विक्रेताओं को दिए नए और पुराने दोनों ही लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।
पिछले साल उठा था गुब्बार
पिछले साल दिवाली के तत्काल बाद दिल्ली के आसमान पर धुएं का गुब्बार छा गया था। यह गुब्बार अलवर सहित जयपुर तक पर असर करता रहा था। उस समय पंजाब में फसल कटाई के बाद डंठल जलाने के कारण भी धआं उठने का मुद्दा छाया था। पर्यावरणविदों ने इसे लेकर बड़ी चिंता जताई थी। हालांकि पटाखों पर रोक लगने के आदेश पर कई लोग दबी जुबान से तो कुछ सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं।
एसडीएम रखेंगे नजर
ब्लॉक स्तर पर एसडीएम आतिशबाजी की बिक्री पर नजर रखेंगे। पटाखे बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। इस प्रक्रिया पर पुलिस की भी नजर रहेगी। पटाखे बेचने वालों के खिलाफ क्या कदम उठाएं जाएंगे? यह तय नहीं हुआ है।
दीपावली पर बिक जाता है करीब १८ लाख किलो बारूद
अलवर जिले में भरतपुर, अजमेर स्थित किशनगढ़, गंगानगर, रोहतक, करनाल सहारनपुर, पंजाब, केरल व तमिलनाडु व जयपुर से आतिशबाजी सामान आता है। जिले में अधिकृत रूप से आतिशबाजी के ११ गोदाम हैं। हर साल जिले में दीपावली पर आतिशबाजी बिक्री के लिए १५० अस्थाई लाइसेंस जारी किए जाते हैं। हालांकि दीपावली पर जिले में लगने वाली आतिशबाजी दुकानों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा होती है। नियमानुसार एक गोदाम संचालक को हर साल ११०० किलो बारूद से लेकर दो लाख किलो बारूद रखने का लाइसेंस मिलता है। आतिशबाजी विक्रेताओं के मुताबिक अलवर में दिवाली के मौके पर १८ लाख किलो बारूद की बिक्री हो जाती है।
Updated on:
10 Oct 2017 04:34 pm
Published on:
10 Oct 2017 07:12 am
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