अलवर जिले में इस बार इंद्रदेव मेहरबान रहे हैं। सोमवार को रात भर हुई बारिश के बाद पानी की आवक बढ़ गई है। रियासत कालीन सिलीसेढ झील से चादर चलने लगी है। करीब डेढ़ दशक बाद यह दृश्य देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में इस झील पर पहुंच रहे हैं। लेकिन फिसलन और रपटन होने से कोई भी बड़ी घटना घटित हो सकती है। इसके लिए सतर्कता बरतना जरूरी है। इसलिए सिलीसेढ़ पर अधिकारी पहुंच गए है, ताकि किसी तरह की जनहानि नहीं हो। पाल के ऊपर घूमना खतरे से खाली नहीं है। उपखंड अधिकारी अलवर प्रतीक चंद्रशेखर जूईकर ने झील पर जाने वाले लोगों से आग्रह किया है कि वह झील के पाल पर नहीं घूमे।
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