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जहां लगाने थे पौधे, वहां बन गया दिग्गज नेता के रिश्तेदार का फार्म हाउस

यह क्षेत्र सरिस्का में है, इसलिए यहां अतिक्रमण, गैर वानिकी कार्य, वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास स्थल को हुई क्षति वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा 27, 28, 29 व 33 का उल्लंघन है।

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अलवर

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Akshita Deora

Jun 15, 2024

सुशील कुमार

नाहरगढ़ सेंचुरी जयपुर से सरिस्का टाइगर रिजर्व को पौधरोपण के लिए दी गई जंगलात की जमीन पर कई अतिक्रमण हो गए। एक दिग्गज नेता के रिश्तेदार ने तो फार्म हाउस तक बना लिया। इसका खुलासा प्रधान मुय वन संरक्षक कार्यालय जयपुर (पीसीसीएफ) की ओर से कराई गई जांच में हुआ है। इस मामले में वर्ष 2021 से लेकर मई 2023 तक तैनात रहे सरिस्का के तत्कालीन क्षेत्र निदेशक आर.एन. मीणा, बाघ परियोजना सरिस्का के तत्कालीन तीन उप वन संरक्षक सुदर्शन शर्मा, सागर पवार पोपट तथा डी.पी. जागावत दोषी मिले हैं। इन सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जांच टीम ने अतिक्रमण हटाकर वन संपदा को पहुंचाई गई क्षति का आंकलन कर पूरी राशि 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूलने की अनुशंसा की है। यह जांच रिपोर्ट पीसीसीएफ कार्यालय से सरकार के पास पहुंच गई है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि दोषी अफसरों से लेकर नेताओं के संबंधियों को बचाया जा रहा है।

पौधरोपण का नक्शा नहीं मिला, लेकिन भुगतान कर दिया

नाहरगढ़ अभयारण्य से प्रत्यावर्तित वन भूमि की एवज में अलवर के राजगढ़ क्षेत्र के टहला गांव में 85.44 हेक्टेयर गैर वन भूमि वर्ष 2012 में आवंटित हुई थी। इस भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत मिलने के बाद मुय वन संरक्षक जयपुर राजीव चतुर्वेदी और सीसीएफ भरतपुर पी. कथिरवेल को जांच सौंपी गई। इन अफसरों ने सरिस्का के उप वन संरक्षक से इससे जुड़े प्रमाण व नक्शे मांगे, लेकिन उन्होंने दोनों दस्तावेज कार्यालय में नहीं होना बताया। जांच टीम ने उप वन संरक्षक जयपुर (वन्यजीव) से भी दस्तावेज मांगे, लेकिन नहीं मिले। पौधरोपण से पहले नक्शे के अनुसार सर्वे किया जाता है, लेकिन नक्शा नहीं मिला, जबकि उसका भुगतान सरिस्का प्रशासन की ओर कर दिया गया। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि उप वन संरक्षक कार्यालय सरिस्का से दस्तावेज जानबूझकर गायब किए गए हैं या नष्ट किए हैं।

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यह भी कहा जांच रिपोर्ट में

यह क्षेत्र सरिस्का में है, इसलिए यहां अतिक्रमण, गैर वानिकी कार्य, वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास स्थल को हुई क्षति वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा 27, 28, 29 व 33 का उल्लंघन है। यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवहेलना है। इन आदेशों की पालना के लिए सरिस्का टाइगर रिजर्व के अफसरों ने कोई कदम नहीं उठाए। अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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इस तरह होता गया अतिक्रमण

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि वन भूमि के खसरा नंबर 13, 14, 10/ 2211 में 2.32 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण वर्ष 2021 में किया गया, जहां चारदीवारी बनाकर अंदर पक्का निर्माण किया गया है। जिस व्यक्ति ने अतिक्रमण किया, वह एक राजनेता का संबंधी है। क्षेत्र में स्थित अन्य अतिक्रमियों की ओर से आने-जाने के लिए खसरा नंबर 9 में स्थित वन भूमि का उपयोग किया जा रहा है।