6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मछुआरे की बलि के बाद ही अंबेडकरनगर में तमसा नदी पर पुल बनवा पाया था अकबर, UP Travel Guide में पढ़ें- मुगल बादशाह की अनटोल्ड स्टोरी

- तमसा नदी को पार करने के लिए अकबर ने 1566 में बनवाया था लकड़ी का पुल- शाही पुल वाली मस्जिद, अकबरपुर और जलालपुर दिलातें हैं अकबर के युद्ध की याद- UP Travel Guide- यूपी ट्रैवल गाइड में पढ़ें अंबेडकरनगर में अकबर से जुड़ी यादों की कहानी

2 min read
Google source verification
UP Travel Guide

मछुआरे की बलि के बाद ही तमसा नदी पर पुल बनवा पाया था अकबर

अंबेडकरनगर. UP Travel Guide- तमसा नदी के किनारे बसे अकबरपुर और जलालपुर अंबेडकरनगर जिले के वह दो कस्बे हैं, जो मुगलिया सल्तनत के बादशाह जलालुद्दीन अकबर की याद दिलाते हैं। चुनार युद्ध के दौरान अकबर बादशाह की बनवाई शाही पुल वाली मस्जिद में आज भी बड़ी संख्या में मुस्लिम नमाज अता करने जाते हैं। 1566 में मुगल बादशाह द्वारा तमसा नदी पर बनवाये गये लकड़ी के पुल के अवशेष अकबर की विजय गाथा को समेटे हैं। मछुआरे नाथू गोड की बलि के बाद ही अकबर उफनाती तमसा नदी पर लकड़ी का पुल बनवाने में सफल हो सका था। लकड़ी के पुल के पास में मौजूद नाथू गोड की समाधि स्थल, गोड समाज के लोगों की आस्था का केंद्र है।

1566 ईसवी में अकबर कैमूर की पहाड़ियों में बसे चुनार साम्राज्य को अपने शासन में मिलाना चाहता था, लेकिन चुनार अकबर का आधिपत्य स्वीकार करने को तैयार नहीं था, जिसकी वजह से अकबर फौज लेकर चुनार जीतने के लिए फैजाबाद के रास्ते निकल पड़ा। तमसा नदी ने अकबर की सेना का मार्ग रोका तो बादशाह ने नदी पर लकड़ी का पुल बनवा दिया। लगभग साढ़े तीन सौ वर्षों तक यह पुल लोगों के आवागमन का साधन रहा, जो करीब तीन दशक पूर्व जर्जर हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने तमसा नदी पर भले ही नया पुल बनवा दिया है, लेकिन यहां आज भी लकड़ी के पुल के अवशेष मौजूद हैं।

नाथू गोड ने बताया, नदी पर कैसे बनेगा पुल
इतिहास के जानकारों का कहना है कि नदी पर पुल निर्माण में बड़ी बाधा तमसा नदी का वेग था। पानी का बहाव इतना तेज था कि उसमें कुछ भी रुक नहीं रहा था। कहा जाता है कि कुछ ही दूरी पर नाथू गोड नाम का व्यक्ति नदी में मछली पकड़ रहा था। वह देख रहा था लाख प्रयास के बावजूद मुगल सैनिक असफल होते जा रहे थे। देखकर गोड वहां पहुंचा और कहा कि तमसा नदी पर पुल के लिए बलि देना जरूरी है। इसके बाद नाथू गोड की बलि दे दी गई, जिसके बाद यह पुल बनकर तैयार हो सका।

देखें वीडियो...

मुस्लिमों का इबादत केंद्र है शाही पुल वाली मस्जिद
अंबेडकरनगर में अकबर जहां रुका हुआ था, इबादत के लिए उसने मस्जिद बनवाई थी, जो आज शाही पुल वाली मस्जिद के नाम से जानी जाती है। आजादी के बाद पुरातत्व विभाग ने इस मस्जिद को अपने संरक्षण में ले लिया है। मस्जिद के मुख्य दरवाजे के अगल-बगल में दो शिलालेख हैं, जिन पर फारसी भाषा में लिखा हुआ है। अंबेडकरनगर लखनऊ से 185 किमी दूर पूरब दिशा में स्थित है। यहां आने के लिए सड़क मार्ग के अलावा रेल यातायात की भी सुविधा उपलब्ध है।

यह भी पढ़ें :
पिलुआ मंदिर में लेटे हुए हैं हनुमान, लेते हैं सांस, आज तक कोई नहीं भर नहीं पाया इनका पेट

- देश का इकलौता मंदिर जहां बिना भगवान श्रीराम के विराजमान हैं मां जानकी

- इसलिए पूरी दुनिया में क्यों खास है अपना लखनऊ और यहां की तहजीब

- देवा शरीफ जहां मुसलमान भी खेलते हैं होली और जलाते हैं दिवाली के दीये

- हरिद्रोही नहीं हरिदोई है हरदोई, वह धरती जहां भगवान ने दो बार लिया अवतार

- अयोध्या का गुप्तार घाट जहां भगवान श्रीराम ने ली थी जलसमाधि