
Tribhuvan Dutt
अम्बेडकरनगर. योगी सरकार केे एक आदेश के बाद जिले के एक बड़े बसपा नेता और मायावती के बेहद खास शख्स के खिलाफ कर्यवाही की तलवार लटक गई है। मामला गांवसभा और गरीबों की करोड़ों की भूमि पर अवैध कब्जा कर लेने से जुड़ा हुआ है। दरअसल जिले के बसपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व विधायक त्रिभवन दत्त के ऊपर आरोप है कि बसपा के शासन काल में उन्होंने अपने विद्यालय राम अवध स्मारक पीजी कॉलेज के निर्माण में केवल सात बीघा भूमि खरीदा था, लेकिन कॉलेज के निर्माण के समय इन्होंने अपने पद और सत्ता का दुरुपयोग करते हुए इन्होंने आस पास के कई कास्तकारों और गांव सभा की भूमि पर भी अवैध कब्जा करके उसे कॉलेज परिसर में शामिल कर लिया था।
इस सम्बन्ध में पीड़ित पक्षकारों की तरफ से लगातार शिकायतें की जाती रही। यहां तक कि इन लोगों ने लोकायुक्त के यहां भी इस मामले की शिकायत की थी। शासन स्तर पर कई बार इस मामले की जांच और कार्यवाही के निर्देश के बाद भी स्थानीय प्रशासन त्रिभुवन दत्त के खिलाफ कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा सका और मामला जस का तस बना रहा।
प्रशासन आया हरकत में
भाजपा के शासन में आने के बाद और इस तरह के अवैध कब्जे के खिलाफ सरकार के कड़े निर्देश के बाद अंततः जिले की सरकारी मशीनरी भी हरकत में आ गई है। मंगलवार से ही शासन स्तर से हुई शिकायतों की जांच के क्रम में एसडीएम आलापुर राजस्व कर्मियों की टीम के साथ पूर्व बसपा विधायक त्रिभुवन दत्त द्वारा आलापुर तहसील क्षेत्र के कसदहां गांव में किए गए अवैध कब्जे के बाबत सीमांकन कराने में जुट गए हैं। हालांकि पूर्व में पूर्व बसपा विधायक के दबाव में आलापुर तहसील प्रशासन मौके पर जाने से ही परहेज कर रहा था और बगैर किसी सीमांकन के ही फर्जी जांच रिपोर्ट प्रेषित कर शासन को गुमराह कर रहा था।
ये है शिकायत कर्ताओं की शिकायतें
सत्ता परिवर्तन के उपरांत सिपाह गांव निवासी प्रदीप पाण्डेय रामडीह सराय गांव निवासी पलटन पुत्र स्नेही समेत कई अन्य लोगों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर अन्य आला अधिकारियों को दर्जनों बार शिकायती पत्र प्रेषित किया था। वर्ष 2011 में मामले की शिकायत लोकायुक्त उत्तर प्रदेश से भी हुई थी बावजूद इसके सात वर्षों में सैकड़ों बार हुई शिकायतों को तहसील प्रशासन नजरअंदाज करता रहा।
बीते दिनों प्रदीप पांडे एवं पलटन पुत्र स्नेही की ओर से की गई शिकायतों का शासन ने संज्ञान लिया। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने एसडीएम आलापुर को इस बाबत सख्त निर्देश दिए और एसडीएम राजमुनि यादव राजस्व कर्मियों की टीम के साथ कसदहां गांव पहुंचकर राम अवध स्मारक महाविद्यालय कसदहां शुकुल बाजार का सीमांकन कार्य कराना शुरू कर दिया है, जहां दो तीन दिनों से राजस्व कर्मियों की टीम एसडीएम राजमुनि यादव तहसीलदार प्रभाकर त्रिपाठी की देखरेख में जुटी हुई है।
शिकायत कर्ताओं का आरोप था कि पूर्व बसपा विधायक द्वारा अपने परिवारी जनों के नाम कई चक्रों में लगभग सात बीघा भूमि बैनामा कराई गई थी। शिकायतकर्ताओं का आरोप था कि सात बीघे के बजाय सत्तरह बीघा भूमि पूर्व बसपा विधायक द्वारा सत्ता व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर जबरिया अपने चहरदीवारी के भीतर समाहित कर लिया था। इतना ही नहीं चकमार्ग संख्या 221 की नवैयत बदल कर उसे भी अपने शिक्षण संस्थान की चहरदीवारी के भीतर समाहित कर लिया।
इस तरह से हड़प ली गरीबों की जमीन
महाविद्यालय की चहरदीवारी के बाहर दूसरों की निजी भूमि पर पूर्व विधायक द्वारा जबरिया सड़क का निर्माण करा दिया गया। गरीबों की निजी भूमि गाटा संख्या 218 एवं गाटा संख्या 229 के भी कई हिस्सों पर पूर्व बसपा विधायक द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया। विवादों के बावजूद महाविद्यालय को कैसे मान्यता प्रदान की गई इसकी भी जांच की मांग शिकायत कर्ताओं ने शिकायती पत्र के जरिए उठाई थी। अब आलापुर तहसील प्रशासन भी हरकत में आ गया है। हालांकि अभी राजस्व कर्मियों व पूर्व में तैनात रहे लोगों का बचाव करने के जतन में लगे हुए हैं। क्योंकि बीते सात वर्षों में हल्का लेखपाल व राजस्व निरीक्षक तहसीलदार तथा अन्य लोगों की ओर से फर्जी जांच रिपोर्ट ही शासन को प्रेषित की जाती रही है। शिकायतकर्ताओ का कहना है कि पूरे महाविद्यालय का सीमांकन निष्पक्षता पूर्वक करा लिया जाए तो दूध का दूध पानी का पानी अलग हो जाएगा। फिलहाल अब पूर्व बसपा विधायक पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
Published on:
16 Dec 2017 11:24 am
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