मामले का खुलासा करते हुए एसपी आईपीएस सदानंद कुमार ने बताया कि 25 अप्रैल को नगर के माया लॉज के पास से रीवा के ग्राम कोल्हागांव निवासी ज्ञानेंद्र तिवारी को 30 नकली नोटों के साथ व्यवसायी की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। पुलिस रिमांड में लेने के बाद जब उससे पूछताछ की गई तो पहले तो उसने गुमराह किया, लेकिन कड़ाई से पूछताछ में उसने सच्चाई बताई। उसने बताया कि बांग्लादेश से काफी संख्या में 2000 के नोट भारत में खप रहे हैं।
बस स्टैंड से किया गिरफ्तार
ज्ञानेंद्र से बातचीत के बाद नकली नोट लेकर राजीकुलशेख उर्फ फिरोज 30 अप्रैल की शाम करीब 5 बजे अंबिकापुर बस स्टैंड पहुंचा। यहां से उसने ज्ञानेंद्र को कॉल कर कहा कि वह अंबिकापुर के बस स्टैंड में खड़ा है। यह सूचना मिलते ही कोतवाली टीआई विनय सिंह बघेल व क्राइम ब्रांच की टीम ने घेराबंदी कर नकली नोटों के तस्कर को धरदबोचा।
मर्डर व पिस्टल तस्करी के हैं आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी ज्ञानेंद्र तिवारी हत्या का आरोपी रह चुका है। वह बैंगलोर जोल में साढ़े 5 साल की सजा काट चुका है। फिलहाल वह जमानत पर था और नकली नोटों की तस्करी कर रहा था। ज्ञानेंद्र तिवारी की राजीकुलशेख से मुलाकात बैंगलोर जेल में ही हुई थी। राजीकुलशेख 17 पिस्टल के साथ गिरफ्तार हुआ था। वह भी 5 साल तक जेल में था और फिलहाल जमानत पर है। दोनों मिलकर २००० रुपए के नकली नोट का कारोबार कर रहे थे।
कार्रवाई में ये रहे शामिल
नकली नोट के अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश आईजी हिमांशु गुप्ता व एसपी सदानंद कुमार के मार्गदर्शन व निर्देशन में किया गया। कार्रवाई में क्राइम ब्रांच व साइबर क्राइम ब्रांच के एसआई मनष यादव, एएसआई भूपेश सिंह, विनय सिंह, प्रधान आरक्षक रामअवध सिंह, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, आरक्षक दीनदयाल सिंह, अमित विश्वकर्मा, बृजेश राय, नितिन सिन्हा, अमृत सिंह, विवेक राय, मनीष यादव, अंशुल शर्मा, राकेश शर्मा, जयदीप सिंह, भोजराज पासवान, महिला आरक्षक स्मिता रागिनी व कोतवाली से एएसआई लोकेश्वर प्रसाद, परशुराम पैंकरा, प्रधान आरक्षक घनश्याम यादव, आरक्षक अरविंद उपाध्याय, संजीव चौबे, राहुल सिंह, आलोक गुप्ताव प्रविंद्र सिंह शामिल रहे।