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86 वर्षीय पिता की मौत के गम में डूबे 5 बेटों ने तत्काल लिया ये फैसला, घर पहुंच गए डॉक्टर और…

नगर के गणमान्य नागरिक के निधन के बाद डॉक्टरों की टीम ने घर पहुंचकर दोनों आंख का कार्निया निकालकर भेजा सिम्स रायपुर

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अंबिकापुर. आंखों से नहीं देख पाने वाले किसी व्यक्ति की अंधेरी दुनिया में अब जल्द ही रौशनी होगी। दरअसल नगर के गणमान्य नागरिक रणजीत सिंह टुटेजा के निधन के बाद परिजन ने उनके नेत्रदान कर किसी की जिंदगी में उजियारा लाने का निर्णय लिया।

इस पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र चिकित्सकों ने उनके निवास पर पहुंचकर दोनों आंखों का कार्निया निकाल सिम्स मेडिकल कॉलेज रायपुर भेज दिया।


शहर के 86 वर्षीय रणजीत सिंह टुटेजा का मंगलवार की रात 9 बजे निधन हो गया। निधन के बाद परिजन ने जनहित में बड़ी पहल करते हुए उनके नेत्रदान करने का निर्णय लिया।

स्व. रणजीत सिंह के पुत्र तेज प्रताप ङ्क्षसह टुटेजा, रविंद्र प्रताप सिंह टुटेजा, महेन्द्र प्रताप सिंह टुटेजा, सुरेंद्र सिंह टुटेजा एवं नरेंद्र सिंह टुटेजा की सहमति से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिजीत जैन ने उनके निवास पर जाकर रणजीत सिंह के पार्थिव शरीर से पूर्ण सम्मान के साथ दोनों आंखों का कॉर्निया निकाल कर सिम्स मेडिकल कॉलेज रायपुर भेजा।


आई बॉक्स के माध्यम से भेजा गया सिम्स
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आइ विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि स्व. रणजीत सिंह टूटेजा के पार्थिव शरीर से दोनों आखों के कार्निया निकालकर आई कंटेनर में रखा गया। इसके बाद कंटेनर को कोल्ड चेन में डाला गया। कार्निया को 4 डिग्री तापमान में रखने का नियम है। इसके बाइ आई कंटेनर को बुधवार की सबुह बस से सिम्स के लिए भेज दिया गया।


किसी की जिन्दगी होगी रौशन
डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि मृतक के परिजन की सहमति से नेत्रदान किया जा सकता है। यह बेहतर कार्य शहर के टूटेजा परिवार ने कर दिखाया है। यह बहुत सराहनीय कदम है।

आइ कंटेनर के माध्यम से कार्निया को रायपुर सिम्स के लिए भेज दिया गया है। वहां आइ बैंक में रिसीव भी कर लिया गया है। 72 घंटे के अंदर किसी जरूरतमंद को लगाया जाएगा और वह पूरी दुनिया देख सकेगा।


जिले में पहला नेत्रदान
आई विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि स्व. रणजीत सिंह टूटेजा के निधन पर उनके परिजन द्वारा नेत्र दान करने का फैसला जिले में पहला है। इससे पूर्व अब तक नेत्र दान करने का फैसला किसी ने नहीं लिया है।


मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं है आई बैंक
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आई बैंक की सुविधा नहीं है। आई बैंक खोलने की तैयारी की जा रही है। अगर जिले में किसी का नेत्रदान किया जाता है तो उसे आई कंटेनर के माध्यम से सिम्स आई बैंक के लिए भेज दिया जाता है।

किसी भी व्यक्ति की मौत के छह घंटे बाद परिजन की सहमति से नेत्रदान किया जा सकता है और उसे ७२ घंटे तक आई बैंक में रखकर किसी जरूरतमंद को लगाया जा सकता है।


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