घायल किशोरियों को तो अस्पताल ले जाया गया लेकिन मृत किशोरी के परिजन उसे जिंदा करने के लिए चेहरा छोड़कर पूरा शरीर गोबर में गाड़ दिया। गांवों में यह मान्यता है कि गोबर आसमानी बिजली के प्रभाव को पूरी तरह से खत्म कर देती है। बेटी की लाश के पास ही उसकी मां इस आस में बैठकर बिलखती रही कि उसकी बेटी जिंदा हो उठेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
सूरजपुर जिले के ओडग़ी ब्लॉक अंतर्गत ग्राम कुदरगढ़ के सेंदरीपारा में सुबह करीब 11 बजे आकाशीय बिजली की चपेट में आकर १६ वर्षीय पिंकी चेरवा पिता अमृतसाय चेरवा की मौके पर ही मौत हो गई। मृतिका गांव की ही अपनी 2 सहेलियों ललिता 16 वर्ष व इन्द्रकुमारी 15 वर्ष के साथ घर खेत में मिट्टी लेने गई थी। इसी दौरान अचानक बारिश होने लगी और आसमान में बादल गरजने लगे।
देखते ही देखते अचानक तेज आवाज के साथ आसमानी बिजली गिरी और किशोरियों को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में पिंकी चेरवा की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उसकी सहेलियां ललिता व इन्द्रकुमारी को अचेतावस्था में ओडग़ी अस्पताल में दाखिल कराया गया। इधर मृतिका के परिजन अंधविश्वास के फेर में पड़कर उसके शव को गांव में ही गोबर के ढेर में गाड़ दिया। करीब १ घंटे तक शव गोबर में गड़ा रहा। मृतिका की मां शव के समीप ही बिलखती रही।
उसे यह आस थी कि उसकी बेटी जिंदा हो उठेगी। गोबर में गड़ी बेटी के पास बैठी बिलखती मां की यह तस्वीर जिसने भी देखी उसके रोंगटे खड़े हो गए। इसकी जानकारी जब जनपद सदस्य सतीश तिवारी को लगी तो वे वहां पहुंचे और परिजन को समझाइश देकर शव को बाहर निकलवाया।
उन्होंने गांव में ही चिकित्सक से मृतिका की जांच कराई। चिकित्सक ने जब उसे मृत बताया तब परिजन माने। इधर दोनों किशोरियों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि गोबर में मृत शरीर को गाडऩे से उसमें जान लौटकर नहीं आती है। यह केवल अंधविश्वास है।