
ISRO scientist Nishant Singh and his family members
अंबिकापुर. Chandrayaan-3: भारत भी अब चांद पर पहुंच गया है। बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 ने चांद पर सफल लैंडिंग की। भारत अब अमेरिका, रूस व चीन के बाद चौथा ऐसा देश है जिसने चांद पर सफलतापूर्वक कदम रखा है। यह जहां पूरे देश के लिए काफी गर्व की बात है, वहीं अंबिकापुरवासी भी इस सफलता पर खुशियां मना रहे हैं। अंबिकापुर का बेटा निशांत सिंह भी इसरो के चंद्रयान-3 टीम का हिस्सा था। इस मौके पर निशांत का परिवार गर्व व खुशी से भर गया है। निशांत के परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बधाई व शुभकामनाएं दीं। निशांत के घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया है।
गौरतलब है कि अंबिकापुर के गोधनपुर निवासी निशांत सिंह पिता अनिल सिंह 30 वर्ष इसरो में वैज्ञानिक हैं। उनके पिता कांग्रेसी नेता व ठेकेदार हैं, जबकि मां गृहणि हैं। चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद निशांत का नाम भी अन्य वैज्ञानिकों के साथ स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर होने वाली थी लेकिन उनकी मां, दादी, बुआ, चाची सहित परिवार के अन्य सदस्य सुबह से ही टीवी स्क्रीन पर टकटकी लगाए बैठे थे। दिनभर पूजा-पाठ का दौर चलता रहा और वे भगवान से कामना करते रहे कि चंद्रयान-3 सफल हो।
जैसे ही चंद्रयान-3 ने चांद पर कदम रखा परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। बेटे निशांत की सफलता का यह पल परिवार के सदस्यों को भावुक करने वाला था। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। इस मौके पर उन्होंने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर बधाई दी।
अंबिकापुर में हुई प्राथमिक शिक्षा
चंद्रयान-3 की टीम में शामिल निशांत सिंह की प्राथमिक शिक्षा अंबिकापुर के कार्मेल स्कूल में हुई थी। 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने नवोदय स्कूल बसदेई सूरजपुर में की।
पढ़ाई में काफी होनहार निशांत ने 10वीं में टॉप किया, इसके बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए केरल भेजा गया। 11वीं-12वीं की पढ़ाई केरल में करने के बाद उन्होंने दिल्ली में इंजीनियरिंग की और फिर वैज्ञानिक बने।
नक्सल प्रभावित गांव से निकलकर इसरो तक का सफर
वैज्ञानिक निशांत सिंह की बुआ बताती हैं कि वे बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर के निवासी हैं। वहां से निशांत के पिता सभी को लेकर अंबिकापुर आ गए थे। हम बता दें कि रामचंद्रपुर पूर्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है।
निशांत की मां, दादी, चाची व बुआ का कहना है कि हम अपनी खुशी शब्दों में बयान नहीं कर सकते। हमें अपने बेटे पर नाज है। वह 5 साल से इसरो में वैज्ञानिक है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 में भी निशांत इसरो की टीम का हिस्सा था लेकिन उस दौरान लैंडिंग सफल नहीं हो पाई थी।
Published on:
23 Aug 2023 08:36 pm
बड़ी खबरें
View Allअंबिकापुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
